झारखंड में कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है। हालात यह है कि आज कोरोना से पहले तो भाजपा के पूर्व सांसद लक्ष्मण गिलुआ की जान गई वहीं दोपहर तक जमशेदपुर लोकसभा क्षेत्र के पोटका विधानसभा क्षेत्र के पूर्व विधायक सनातन मांझी का भी निधन आज संक्रमण के कारण हो गया।
झारखंड के सिंहभूम में भाजपा को पहचान दिलाने में दिग्गज नेता, पूर्व सांसद सह पूर्व भाजपा प्रदेश अध्यक्ष लक्ष्मण गिलुवा का अहम योगदान था। कांग्रेस का गढ़ कहे जाने वाले सिंहभूम लोकसभा सीट पर भाजपा को मजबूती दिलाने में उनका नेतृत्व बहुत उपयोगी रहा। लक्ष्मण गिलुवा चक्रधरपुर विधानसभा सीट से दो बार विधायक और सिंहभूम लोकसभा सीट से दो बार सांसद रह चुके थे। इसके अलावा उन्हें पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था। लक्ष्मण गिलुवा कोल्हान में भाजपा के एक बड़े चेहरा थे और उन्होंने वर्ष 1990 में पहली बार निर्दलीय बाल्टी छाप पर चुनाव लड़ा था। इसके बाद वर्ष 1995 में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे और चुनाव जीत कर चक्रधरपुर के विधायक बने थे। इसके बाद लक्ष्मण गिलुवा 2009 में दोबारा भाजपा के टिकट पर चुनाव जीत कर चक्रधपुर के विधायक बने। इसके आलावा वर्ष 1999 और 2014 में सिंहभूम लोकसभा सीट पर चुनाव जीत कर सांसद बने थे।
गिलुवा पिछले दिनों कोरोना पाॅजिटिव पाए गए थे। उसके बाद उन्हें इलाज के लिए जमशेदपुर के टाटा मोटर्स अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी स्थिति नाजुक बनी हुई थी। वेंटिलेटर पर ही चल रहे थे। उन्हें बचाने की कोशिश नाकाम रही। गिलुवा गुरुवार उनका तडके 2.10 बजे कोरोना से हार गए।
वहीं सनातन मांझी भाजपा में रहे और कांग्रेस में भी रहे थे। हंसमुख व मिलनसार स्वभाव की वजह से ये सभी दल के नेताओं में लोकप्रिय थे। वे बड़े आदिवासी नेता के रूप में भी जाने जाते थे। सनातन मांझी 1969 और 1972 में पोटका विधानसभा क्षेत से दो बार निर्दलीय विधायक चुने गए थे। वे 1980-1992 तक एकीकृत सिंहभूम में कांग्रेस के जिलाध्यक्ष भी रहे। इंदिरा गांधी ने उन्हें कांग्रेस में शामिल कराया था। सनातन के कांग्रेस अध्यक्ष रहते ही जमशेदपुर के बिष्टुपुर में कांग्रेस का कार्यालय खुला था जो आज भी है। बीच में करीब ढाई साल तक बाबूलाल मरांडी के साथ झारखंड विकास मोर्चा में भी थे। इसके बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा में आ गए। फिलहाल ये झारखंड मुक्ति मोर्चा में ही थे। इनके पुत्र बाबू माझी झारखंड मुक्ति मोर्चा में क्रीडा प्रकोष्ठ के केंद्रीय उपाध्यक्ष हैं।
सनातन मांझी का इलाज कोलकाता स्थित मेडिकल रिसर्च इंस्टिट्यूट में चल रहा था वह कोरोना पॉजिटिव हो गए थे। जिसके बाद उनकी तबीयत काफी खराब होती चली गई थी। इसके बाद उनको बेहतर इलाज के लिए कोलकाता ले जाया गया जहां उनका इलाज के दौरान मृत्यु हो गई। सनातन माझी ने बीए, एमए व बीएल तक की डिग्री हासिल की थी। वे कई भाषा के जानकार थे। उन्हें हिंदी, अंग्रेजी, बांग्ला, ओ ड़िया, संथाली, भूमिज, हो और मुंडारी भाषा का अच्छा ज्ञान था। उनके निधन की खबर से राजनीतिक गलियारे में शोक की लहर दौड़ गई है।