राजधानी राँची में ‘लाइट हाउस प्रॉजेक्ट’ के अंतर्गत धुर्वा स्थित मित्र मंडल मैदान से निर्माण कार्य की शुरुआत, पुलिस, जिला प्रशासन और नगर विकास विभाग की संयुक्त ऑपरेशन में हो गई है। स्थानीय लोगों के विरोध के बीच पिछली बार प्रशासन को खाली हाँथ लौटना पड़ा था।
पिछली बार महिलाओं के विरोध प्रदर्शन में आगे होने के कारण इस बार प्रशासन ने महिला बटालियन को निगरानी में आगे रखा। सुरक्षा दलों ने मैदान की घेराबंदी की व मिट्टी जांच की प्रक्रिया शुरू की। प्रशासनिक दल ने सबसे पहले मैदान के गोल पोस्ट तोड़े फिर पूरे मैदान को जेसीबी मशीन से खोद डाला। यह सब देख कर कई स्थानीय लोग प्रशासन की इस कारवाई से नाराज़ हैं व उनका कहना है कि गरीबों के नाम पर बन रहे इस घर में पैसे वाले लोग ही रहेंगे। स्थानीय लोगों के विरोध को प्रशासन ने दूर करने का भरोसा दिया है।
लाइट हाउस प्रोजेक्ट के अंतर्गत एक साल में 1,008 फ्लैट बनेंगे। अत्याधुनिक सुविधाओं से परिपूर्ण इन फ्लैटों में लिफ्ट से लेकर लाइटिंग के खास प्रबंध होंगे। नगर विकास विभाग के निदेशक विजया जाधव ने गरीबों को रियायती दर पर बैंक लोन की सुविधा मिलने की बात कही और बताया कि सभी फ्लैट आधुनिक तकनीक से बनेंगे जो मॉडल के रूप में स्थापित होंगे।
कार्यस्थल पर मौजूद हटिया एएसपी विनीत कुमार ने बताया कि काम शांतिपूर्ण ढंग से चल रहा है व असामाजिक तत्वों से निपटने के लिए पुलिस प्रशासन पूरी तरह से मुस्तैद है। कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए आईआरबी, जैप और जिला पुलिस के सैकड़ों जवानों को तैनात किया गया है। राँची के एसडीओ उत्कर्ष गुप्ता और एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने भी मौके पर पहुंच कर स्थिति का जायज़ा लिया और तैनात पुलिसकर्मियों को दिशा निर्देश दिए।
क्या है लाइट हाउस प्रोजेक्ट?
लाइट हाउस प्रोजेक्ट (LHP) केंद्रीय शहरी मंत्रालय की महत्वाकांक्षी योजना है जिसके तहत लोगों को स्थानीय जलवायु और इकोलॉजी का ध्यान रखते हुए टिकाऊ आवास प्रदान किए जाते हैं।प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने नए साल के पहले दिन छह राज्यों में लाइट हाउस प्रोजेक्ट (LHP) की नींव रखी थी। उन्होंने ग्लोबल हाउसिंग टेक्नोलॉजी चैलेंज-इंडिया (GHTC) के तहत अगरतला (त्रिपुरा), रांची (झारखंड), लखनऊ (उत्तर प्रदेश), इंदौर (मध्य प्रदेश), राजकोट (गुजरात) और चेन्नई (तमिलनाडु) में लाइट हाउस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी।
इस प्रोजेक्ट में फैक्टरी से ही बीम-कॉलम और पैनल तैयार कर घर बनाने के स्थान पर लाया जाता है। इससे फायदा ये होता है कि निर्माण की अवधि और लागत में कमी आती है जिससे पूरे प्रोजेक्ट का खर्च कम हो जाता है। इस प्रोजेक्ट के तहत बने मकान पूरी तरह से भूकंपरोधी होंगे.