झारखंड में मिले यूके स्ट्रेन एवं डबल म्युटेंट स्ट्रेन के कारण यह चिंता का विषय बना हुआ है। राज्य सरकार द्वारा इससे बचाव के लिए नए सिरे से रणनीति तैयार की जा रही है। जानकारी के मुताबिक यूके स्ट्रेन से कोरोना संक्रमण बढ़ने का खतरा अधिक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह वायरस 35 से 70 प्रतिशत अधिक तेज़ी से फैलता है। इसके अलावा डबल म्युटेंट स्ट्रेन, यूके स्ट्रेन से भी अधिक जानलेवा है। विशेषज्ञों का मानना है कि राज्य सरकार को ज्यादा से ज्यादा पॉजिटिव सैंपल का जीनोम सिक्वेंसिंग कराना चाहिए। जिससे कोरोना के सही स्वरूप एवं उससे निजात पाने की रणनीति बनाने में आसानी होगी।
ज्ञात हो कि भुवनेश्वर के रीजनल जीनोम सिक्वेंसिंग लैबोरेट्री में हुई 39 सैंपल की जांच में 9 सैंपल में यूके स्ट्रेन एवं 4 सैंपल में डबल म्युटेंट स्ट्रेन होने की पुष्टि की गयी है। आपको बता दें कि जिन 9 सैंपल में यूके स्ट्रेन मिले हैं उनमें से 8 रांची और एक पूर्वी सिंहभूम के थे। इसी प्रकार जिन चार सैंपल में डबल म्युटेंट स्ट्रेन मिला है उनमें से 3 रांची एवं एक पूर्वी सिंहभूम के थे।
रिम्स रांची के पूर्व निदेशक डॉ. डी के सिंह का कहना है कि वर्तमान में कोरोना संक्रमण के तेज़ी से बढ़ने का कारण यूके स्ट्रेन व डबल म्युटेंट स्ट्रेन है। इस वायरस से एक से कई लोग संक्रमण की चपेट में आ सकते हैं। इसके अलावा उन्होंने ये भी बताया कि इस स्ट्रेन से संक्रमण का खतरा 70% तक बढ़ सकता है। गौरतलब है कि ज़्यादा लोगों के संक्रमित होने से मृत्यु दर में भी इजाफा होता है। यह वायरस हवा में कितनी देर रहता है या कितनी दूरी तक जा सकता है, इसका स्पष्टीकरण अब तक नहीं हो पाया है। हालांकि इसका संक्रमण संपर्क में आने से अधिक बढ़ता है।
इसके अलावा राज्य के संक्रामक रोग विशेषज्ञ एवं सह राज्य सर्विलांस पदाधिकारी डॉ. प्रवीण कुमार कर्ण ने जानकारी देते हुए बताया कि कोरोना का डबल म्युटेंट स्ट्रेन के अधिक जानलेवा है क्योंकि इसका म्युटेशन दो बार हो चुका है। यही वजह है कि इससे संक्रमण का खतरा अधिक है। हालांकि यूके स्ट्रेन पर टिका प्रभावी है। इसका मतलब यदि किसी ने टीके के दो डोज़ ले लिए हैं, उन्हें इस वायरस से कोई खतरा नहीं है।
रिम्स रांची के प्रिवींटिव एंड सोशल मेडिसिन विभाग के विभागाध्यक्ष डॉ. देवेश कुमार से हुई बातचीत में बताया कि अध्ययन ने मुताबिक यूके स्ट्रेन में संक्रमण पहली लहर के वायरस के मुकाबले अधिक है। यही वजह है झारखंड में कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर में ज़्यादा लोग संक्रमित हो रहे हैं। हालांकि इसमें मृत्यु दर कम है। डॉ. देवेश कुमार ने बताया कि वातावरण में दोनों वायरस ज़्यादा समय तक रहते हैं जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
क्या है यूके स्ट्रेन..
ब्रिटेन में मिले कोरोना वायरस के स्ट्रेन बी.1.1.7 को यूके स्ट्रेन नाम दिया गया है। यह स्ट्रेन भारत में सबसे पहले 29 दिसंबर, 2020 को यह स्ट्रेन पाया गया। इसके अलावा विश्व के तीन देशों में कोरोना के नए स्ट्रेन मिले हैं जिनमें ब्रिटेन, दक्षिण अफ्रीका एवं ब्राज़ील शामिल हैं। माना जा रहा है कि ब्राज़ील एवं दक्षिण अफ्रीका में मिले स्ट्रेन ज़्यादा खतरनाक हैं।
क्या है डबल म्युटेंट स्ट्रेन..
मार्च के अंत में मिले इस स्ट्रेन को बी.1.167 नाम दिया गया है। इस स्ट्रेन को डबल म्युटेंट स्ट्रेन कहने के पीछे कारण है कि इस वायरस के जीनोम में दो बार बदलाव हो चुका है। जानकारी के मुताबिक यह वायरस खुद को प्रभावी रखने के लिए अपने जेनेटिक संरचना में बदलाव लाते रहता है। इसका मतलब इस वायरस से जितने ज़्यादा लोग संक्रमित होंगे, उसमें उतने ज़्यादा म्युटेशन होते रहेंगे।