रांची: सीएम के करीबियों के शेल कंपनी चलाने और सीएम हेमंत सोरेने को खनन लीज देने के खिलाफ दायर याचिका झारखंड हाईकोर्ट ने वैध मानते हुए सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया है। इन दोनों याचिकाओं पर दस जून को सुनवाई होगी। चीफ जस्टिस डॉ रवि रंजन और जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत ने याचिका की वैधता पर सुनवाई पूरी करने के बाद बुधवार को फैसला सुरक्षित रख लिया था। शुक्रवार को अदालत ने फैसला सुनाते हुए याचिका स्वीकार कर ली और दस जून से विस्तृत सुनवाई की तिथि निर्धारित की।
बुधवार को इस मामले में सरकार और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की ओर से याचिका को सुनवाई योग्य नहीं बताते हुए खारिज करने का आग्रह किया गया था। सरकार की ओर से कहा गया था कि याचिकाकर्ता ने याचिका दायर करते समय अपनी पहचान छिपायी है। हाईकोर्ट रूल के तहत याचिका दायर नहीं की गयी है। याचिका दायर करने के पूर्व किस फोरम में प्रार्थी ने शिकायत की है इसका उल्लेख नहीं किया गया है। वर्ष 2013 में इसी तरह की एक याचिका हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट खारिज कर चुका है। इस याचिका में भी उन्हीं तथ्यों को उठाया गया है, इस कारण याचिका सुनवाई योग्य नहीं मानी जा सकती और इसे खारिज कर दिया जाना चाहिए।
प्रार्थी शिवशंकर शर्मा की ओर दलील दी गयी थी कि उसने अपनी पहचान अदालत में शपथपत्र के माध्यम से दिया है। याचिका में जो भी आरोप लगाए गए हैं उसके दस्तावेज भी पेश किए हैं। इस कारण याचिका सुनवाई योग्य है। ईडी की ओर से कहा गया था कि मनरेगा घोटाले की जांच के दौरान काफी महत्वपूर्ण दस्तावेज मिले हैं, जिसे कोर्ट को सौंपा गया है। इस मामले में हाईकोर्ट आदेश दे सकता है।