नेतरहाट के छात्रों के लिए यह पहला मौका होगा जब छात्र दसवीं की परीक्षा सीबीएसई बोर्ड के तहत देगे | आपको बता दें कि मई महीने में सीबीएसई दसवीं की परीक्षा आयोजित करने वाला है | इस वजह से नेतरहाट के छात्रों की धड़कने तेज़ हो गई है | हालांकि, इससे पहले नेतरहाट के छात्र जैक बोर्ड द्वारा आयोजित दसवीं की परीक्षा में बैठते थे | वहीं ,दसवीं की परीक्षा में बैठने वाले नेतहराट के छात्रों की संख्या सौ के आसपास होती है | मालूम हो कि सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में बैठने का सीधा मतलब यही निकाला जा सकता है कि अब स्टेट टॉपर बनने के लिए नेतरहाट के छात्रों को डीपीएस रांची, डीपीएस बोकारो, जेवीएम श्यामली, संत जेवियर, डीएवी कपिलदेव और डीएवी हेहल जैसे परीक्षार्थियों को पीछे छोड़ना होगा |अबतक ये सभी स्कूल दसवीं की परीक्षा में स्टेट टॉपर देते रहे हैं |
पिछले कई सालों से नेतरहाट के छात्र जैक बोर्ड द्वारा आयोजित परीक्षा में स्टेट टॉपर तो हो जाते थे लेकिन इंजीनियरिंग और मेडिकल जैसी परीक्षाओं में वे सफल नहीं हो पाते थे | वहीं, स्कूली शिक्षा के तत्कालीन सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने एक आंकड़ा निकाला जिसमें पता चला कि पिछले दस सालों से नेतरहाट का कोई भी छात्र बड़ी परीक्षा में ना तो सफल हुआ है और ना ही कोई बड़ी उपलब्धि हासिल की है | जाँच -पड़ताल करने के बाद पता चला कि नेतरहाट के छात्रों को दसवीं की परीक्षा में चुनौती ऐसे स्कूलों के छात्रों से होती है जिनका पहले से ही प्रदर्शन खराब रहा है | लिहाजा छात्रों को ग्लोबल बनाने की कोशिश हुई | इस सन्दर्भ में स्कूली शिक्षा सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह ने प्रस्ताव तैयार किया और तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास के पास डेमो दिखाया गया था | उनका कहना था कि अगर सच में नेतरहाट के छात्रों की प्रगति चाहिए तो इसके लिए इसे ऐसे बोर्ड के अधीन किया जाये जहां कड़ी चुनौती मिले और फिर नेतरहाट को जैक से हटाकर सीबीएसई के अधीन किया गया |
शिक्षा सचिव अमरेन्द्र प्रताप सिंह उस वक्त कहते हैं कि नेतरहाट बहुत सारे गाइडलाइन का पालन करने में नाकाम रहा था | अमरेन्द्र प्रताप सिंह का मानना है कि जब तक आप बड़ी चुनौती से नहीं गुजरते तब तक आपके स्टेट टॉपर बनने का कोई फायदा नहीं है | उन्होंने कहा कि यह देखा गया था कि नेतरहाट के छात्र स्टेट टॉपर बेशक हो जाते थे लेकिन उनके इस उपलब्धि को बड़े प्लेटफार्म पर मान्यता नहीं मिल रही थी | वहीं ,अवधारणा यह भी बन गयी थी कि जैक बोर्ड का टॉपर है, इससे क्या होगा ,और उनके सामने सीबीएसई का टॉपर जब खड़ा होता था तो नेतरहाट के टॉपर कई मायनों में कम साबित होते थे | इसी सोच -विचार से नेतरहाट और छात्रों के हित में यह फैसला लिया गया |वहीं , सीबीएसई बोर्ड की परीक्षा में शामिल होने के बाद यदि नेतरहाट का छात्र टॉपर होता है तो उनकी मान्यता देशभर में होगी | साथ ही, सीबीएसई टॉपर होने पर शक की कोई गुंजाईश नहीं रहेगी, जैसे पहले होता था और छात्र बड़ी परीक्षाओं के लिए अपने आप को तैयार कर पायेंगे |
आपको बता दें कि नयी सरकार बनने के बाद हेमंत सरकार भी नेतरहाट को लेकर काफी चिंतित रही है | वहीं , मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने तो स्कूली शिक्षा की एक समीक्षा में यहां तक कह दिया था कि यदि हम नेतरहाट के गौरव को नहीं बचा सकते तो हमारा रहना बेकार है | मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने अपनी पूरी टीम के साथ नेतरहाट का दौरा भी किया था और मौके पर कई फैसले भी लिये थे |