मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर झारखंड में तैनात सेंट्रल पारा मिलिट्री फोर्स और एसएसबी के डॉक्टरों, पारा मेडिकल स्टाफ की मदद कोरोना मरीजों के इलाज के लिए उपलब्ध कराने का आग्रह किया है। साथ ही रांची और रामगढ़ के मिलिट्री हॉस्पिटल का उपयोग कोविड-19 के मरीजों के इलाज के लिए उपयोग में लाने की अनुमति दिलाने के लिए गृह मंत्रालय को आवश्यक निर्देश देने का अनुरोध भी शनिवार को किया है।
मुख्यमंत्री ने पीएम मोदी को लिखे पत्र में बताया है कि झारखंड एक पिछड़ा राज्य है और यहां के निजी और सरकारी अस्पतालों में उपलब्ध डॉक्टरों और सीमित संसाधनों के बल पर संक्रमण से लड़ाई लड़ी जा रही है। लेकिन कोविड-19 संक्रमण के प्रसार को रोकने के लिए अधिक संसाधन की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि कोरोना की पहली लहर में 90 प्रतिशत मरीजों में लक्षण नहीं थे और उन्हें ऑक्सीजन और वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ती थी। और अनुमान लगाया गया था कि टीकाकारण की उपलब्धता के कारण कोरोना की दूसरी लहर अधिक असरकारी नहीं होगी। लेकिल अप्रत्याशित रूप से मार्च से कोरोना संक्रमण की दूसरी लहर का प्रसार देखने को मिल रहा है। पहले औसतन 100 संक्रमित मिल रहे थे और अब करीब एक महीने में तीन हजार पॉजीटिव केस मिलने लगे हैं।
सीएम सोरेन ने लिखा है कि झारखंड लैंड लॉक स्टेट है, यह पांच राज्यों बिहार, यूपी, ओड़िशा, छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल से जुड़ा है। इन राज्यों से प्रतिदिन काफी संख्या में आवागमन हो रहा है। इससे समस्या बढ़ी है। मुख्यमंत्री ने लिखा है कि झारखंड उग्रवाद प्रभावित राज्य हैं इसलिए यहां सेंट्रल पारा मिलिटरी फोर्स और एसएसबी तैनात है। इनमें चिकित्सक और पारा मेडिक्स हैं। दूसरी ओर रामगढ़ और रांची में सिख और पंजाब रिजमेंट के मिलिट्री अस्पताल भी हैं। इनका उपयोग कोरोना मरीजों के उपचार में किया जा सकता है। मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में झारखंड में तैनात सेंट्रल पारा मिलिटरी फोर्स के डॉक्टरों, पारा मेडिक्स और मिलिट्री के संसाधनों को कोरोना मरीजों के इलाज में लगाने के लिए गृह मंत्रालय को निर्देशित करने का आग्रह किया है।