धनबाद की ग्रामीण एसपी ने किया छठ व्रत, लातेहार एसपी ने उठाया दउरा..

धनबाद/लातेहार: छठ पूजा और उसकी महत्ता आज देश ही नहीं, विदेशों में भी देखने को मिलती है. उत्तर भारत के लोग दुनिया के किसी भी कोने में हों, इस त्योहार पर अपने घर-अपनी मातृभूमि को जरूर याद करते हैं और घर से दूर रह रहे लोग इस लोक आस्था के पर्व पर अपने मन के किसी कोने में एक टीस-सी महसूस करते हैं. चार दिनों का ये अनुष्ठान एक तरफ जहां पवित्रता और ईश्वर में आस्था जगाता है, तो वहीं यह एक तरह अपनी सभ्यता से, अपनी संस्कृति से जुड़ा संस्कार भी है.

इस पूजा में गंगा-जमुनी तहजीब भी दिखाई देती है, यह किसी भी जाति-धर्म से परे मनाया जाने वाला पहला उत्सव है जो हमारे देश की एकता की मिसाल है. इसे छठ महापर्व की अलौकिकता ही कहेंगे कि इस साल केरल की रहने वाली और वर्तमान में धनबाद ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन ने भी चार दिन की छठ पूजा पूरे विधि-विधान से की. इस दौरान लातेहार एसपी अंजनी अंजन ने दउरा भी अपने सिर पर उठाया. आइए जानते हैं पूरी कहानी.

दरअसल धनबाद की ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन मूल रूप से केरल की रहने वाली हैं. उनकी शादी 3 साल पहले बिहार के पटना के रहने वाले अंजनी अंजन से हुई, जो फिलहाल लातेहार एसपी के रूप में पदस्थापित हैं. लातेहार स्थित एसपी आवास से ही धनबाद की ग्रामीण एसपी ने पूर नियम और निष्ठा के साथ 36 घंटे का निर्जला व्रत करते हुए छठ व्रत संपन्न किया. इस दौरान पारंपरिक रीति रिवाज के साथ भगवान भास्कर को अर्घ्य अर्पित किया.

आईपीएस रिष्मा रमेशन ने पहली बार की छठ..
धनबाद की ग्रामीण एसपी रिष्मा रमेशन ने कहा कि उन्होंने पहली बार छठ की है. यह आस्था और विश्वास का त्योहार है, जिसमें प्रकृति का पूजन होता है. उत्तर भारत में इसे करने वालों की संख्या काफी अधिक है. साथ ही कहा कि पहली बार छठ व्रत करने पर उन्हें अपार खुशी मिली. सूर्य उपासना का धार्मिक महत्व होने के साथ-साथ वैज्ञानिक महत्ता भी है, जिसका मानव जीवन पर खासा असर पड़ता है.

रिष्मा ने घर पर एक बार फिर से शुरू की छठ की परंपरा..
वहीं, लातेहार एसपी अंजनी अंजन छठ व्रती रिष्मा रमेशन का दउरा अपने उठाकर औरंगा नदी के छठ घाट तक पहुंचे. जहां पूजा अर्चना के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य दिया गया. एसपी अंजनी अंजन ने कहा कि छठ पर्व एक सामुदायिक पर्व है. इसकी अलौकिकता को देखकर किसी की भी आस्था इसमें जागृत हो जाए. मां के देहांत के बाद 2013 से घर पर छठ पर्व बंद था. इस परंपरा को रिष्मा रमेशन ने एक बार फिर से शुरू किया है. उन्होंने कहा कि छठ व्रती का दउरा सिर पर उठाकर छठ घाट तक ले जाना अपने आप में बहुत खास होता है.

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