दुमका कोषागार मामले में लालू प्रसाद यादव को जमानत मिल गयी है। हालांकि जमानत मिलने के बाद भी लालू यादव की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। सीआरपीसी की धारा 427 को आधार बना कर सीबीआई सर्वोच्च न्यायालय से लालू यादव की जमानत स्थगित करा सकती है। सीबीआई द्वारा इसकी तैयारी भी शुरू की जा चुकी है।
सीबीआई के अनुसार लालू यादव को चार अलग अलग मामलों में सज़ा सुनाई गई है। लेकिन सीबीआई कोर्ट द्वारा सभी सज़ा एक साथ सुनाने का आदेश नहीं दिया है। जिस कारण सभी सज़ा एक साथ नहीं चल सकती। आपको बता दें कि सीआरपीसी की धारा 427 के मुताबिक यदि किसी व्यक्ति को एक से अधिक मामलों में दोषी करार कर सज़ा सुनाई जाती है तो अदालत सभी सज़ा एक साथ चलाने का आदेश नहीं देती। दोषी पाए गए व्यक्ति की एक सज़ा की अवधि समाप्त होने पर ही उसकी दूसरी सज़ा शुरू होगी।
ज्ञात हो कि चारा घोटाले के चार मामलों में लालू प्रसाद को दोषी करार करते हुए सज़ा सुनाई गई है। हालांकि किसी भी आदेश में सभी सज़ा एक साथ चलाने का उल्लेख नहीं है। ऐसे में लालू यादव पर सीआरपीसी की धारा 427 लागू होती है, जिसके अंतर्गत जब तक वह एक सज़ा की पूरी अवधि हिरासत में नहीं बिता लेते, तब तक दूसरे सज़ा लागू नहीं हो सकती।
सीबीआई के मुताबिक लालू यादव की ओर से अदालत में सभी सज़ा एक साथ चलाने के लिए अब तक कोई आवेदन नहीं दिया गया है। इसीलिए सीआरपीसी की धारा 427 के अंतर्गत उन्हें जमानत का लाभ नहीं मिल सकता। यद्यपि लालू प्रसाद द्वारा इसका विरोध किया गया है। लालू यादव का कहना है कि सीबीआई द्वारा चारा घोटाले के किसी भी मामले में यह मुद्दा नहीं उठाया गया। उच्च न्यायालय की ओर से भी उन्हें हर मामले में आधी सज़ा काटने पर जमानत दी जा चुकी है। ऐसे में सीबीआई द्वारा दी गयी यह दलील उचित नहीं है।