जेपीएससी में गड़बड़ी का मामला: हाई कोर्ट ने सीबीआई को जांच में तेजी लाने का दिया निर्देश….

झारखंड हाई कोर्ट ने झारखंड लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की प्रथम और द्वितीय परीक्षा में गड़बड़ियों की सीबीआई जांच में तेजी लाने का निर्देश दिया है. इस मामले में जनहित याचिका दाखिल करने वाले बुद्धदेव उरांव ने आरोप लगाया है कि परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं. अदालत ने इस मुद्दे पर सीबीआई को चार्जशीट को शपथ पत्र के माध्यम से कोर्ट में प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है. मामले की अगली सुनवाई 5 फरवरी को होगी.

सीबीआई ने 35 लोगों पर चार्जशीट दाखिल की

सीबीआई ने अदालत को सूचित किया कि उन्होंने निचली अदालत में 35 लोगों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल कर दी है. इसके बाद हाई कोर्ट की खंडपीठ, जिसमें जस्टिस आर मुखोपाध्याय और जस्टिस एके राय शामिल हैं, ने निर्देश दिया कि चार्जशीट को शपथ पत्र के माध्यम से पेश किया जाए. सुनवाई के दौरान सीबीआई ने चार्जशीट कोर्ट में प्रस्तुत करने के लिए अतिरिक्त समय की मांग की, जिसे अदालत ने स्वीकार कर लिया. इस जनहित याचिका में कहा गया है कि जेपीएससी अधिकारियों की मिलीभगत से अयोग्य अभ्यर्थियों का चयन किया गया है. ये सभी चयनित अभ्यर्थी अब भी सरकारी पदों पर कार्यरत हैं. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि ऐसे अधिकारियों को हटाया जाए और सीबीआई जांच जल्द पूरी की जाए.

ओएमआर शीट में त्रुटियों पर कोर्ट सख्त

दूसरी ओर, झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन की पीठ में जेपीएससी की पीटी परीक्षा में चयनित नहीं होने के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुनवाई हुई. इस मामले में प्रार्थियों का कहना था कि उनके अंक अधिक होने के बावजूद उनका चयन नहीं किया गया. अदालत ने इस तर्क को खारिज करते हुए कहा कि परीक्षा के दौरान ओएमआर शीट को सही तरीके से भरना अनिवार्य है. जेपीएससी के वकील प्रिंस कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि प्रार्थियों ने ओएमआर शीट में रोल नंबर और अन्य अनिवार्य कॉलम को सही से नहीं भरा था. अदालत ने प्रार्थियों की याचिका खारिज करते हुए कहा कि हाई कोर्ट के पूर्व आदेश के अनुसार, ओएमआर शीट सही तरीके से भरने में लापरवाही करने वालों को राहत नहीं दी जा सकती.

जेपीएससी पर गंभीर आरोप

बुद्धदेव उरांव की ओर से दाखिल जनहित याचिका में कहा गया है कि जेपीएससी प्रथम और द्वितीय परीक्षा में बड़े पैमाने पर अनियमितताएं हुई हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि अयोग्य उम्मीदवारों को जानबूझकर चयनित किया गया, जबकि योग्य उम्मीदवारों को नजरअंदाज किया गया. इस संबंध में सीबीआई जांच चल रही है, लेकिन अभी तक यह पूरी नहीं हुई है.

पीटी परीक्षा के परिणाम पर विवाद

पीटी परीक्षा से संबंधित याचिकाकर्ताओं का कहना था कि जेपीएससी ने उनके निर्धारित अंकों से अधिक अंक होने के बावजूद उन्हें चयन सूची में शामिल नहीं किया. याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि परीक्षा का रिजल्ट और आंसर शीट जारी की जा चुकी है, लेकिन इसमें गड़बड़ियां की गई हैं.

हाई कोर्ट का फैसला

हाई कोर्ट ने स्पष्ट किया कि ओएमआर शीट को सही तरीके से भरना अनिवार्य है. अदालत ने कहा कि जेपीएससी द्वारा दिए गए तर्क सही हैं और प्रार्थियों के चयन न होने का निर्णय वैध है. इस पर याचिकाकर्ता की दलील को खारिज कर दिया गया.

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