कोरोना की तीसरी लहर जल्द ही आने की आशंका जताई जा रही है। इसी बीच एयरपोर्ट और रेलवे स्टेशन पर सरकार की ओर से संक्रमण की जाँच भी कराई जा रही है। हालांकि, इन जांच की रिपोर्ट्स आने के बाद संक्रमित लोगों को ट्रेस करना बेहद मुश्किल हो गया है। इनमे से ज़्यादातर लोग अपने मोबाइल नंबर सही नहीं बता रहे है। इस मामले पर कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल की ओर से हाल ही में उपायुक्त को एक रिपोर्ट सौंपी गयी है। इसमें 101 कोरोना संक्रमितों की रिपोर्ट दी गई है। इनमें 35 व्यक्ति ही ट्रेस हुए और अस्पताल में भर्ती कराए गए। यानी 65 प्रतिशत का पता नहीं चल सका है। इनमें 28 का फोन नेटवर्क एरिया से बाहर था और छह के मोबाइल नंबर गलत थे व 32 के मोबाइल अस्तित्व में नहीं थे। वही, रांची जिला प्रशासन ने इस बात को माना है कि कोरोना संक्रमित के जो मामले आ रहे हैं, उनमें से अधिकतर लोगों का फोन नंबर ही नहीं लग रहा है।
अब इससे यही प्रतीत होता है कि जांच करते वक्त संक्रमितों का मोबाइल नंबर चेक नहीं किया जाता है। वहीं अब रांची रेलवे स्टेशन एवं एयरपोर्ट पर टेस्टिंग टीम को अनिवार्य रूप से मोबाइल नंबर चेक करते हुए पूरा पता अंकित करवाने का निर्देश अनुमंडल पदाधिकारी सदर एवं अपर जिला दंडाधिकारी विधि व्यवस्था रांची को दिया गया है। सही मोबाइल नंबर एवं पूर्ण पता अंकित करने के लिए टेस्टिंग टीम के साथ एक अतिरिक्त व्यक्ति की प्रतिनियुक्ति का आदेश दिया गया है। सैंपल लेने के पूर्व संबंधित व्यक्ति के मोबाइल नंबर पर रिंग कर चेक करना ज़रूरी होगा।
मालूम हो कि रेलवे स्टेशनों और एयरपोर्ट पर कोरोना संक्रमित मिलते हैं तो उन्हें सरकार के क्वारंटाइन सेंटर में भर्ती होना है। लेकिन क्वारंटाइन सेंटर जाने के बदले भाग जाते हैं। जानकारी के लिए बता दें कि जिनका मोबाइल फोन नेटवर्क एरिया में नहीं है, उनको किसी भी परिस्थिति में ट्रेस करते हुए उन्हें कोविड वार्ड में भर्ती करने का निर्देश दिया गया है। बेड मैनेजमेंट, सेल कॉल सेंटर, कॉल कांटेक्ट ट्रेसिंग सेल, होम आइसोलेशन सेल एवं सेल प्रभारियों को सक्रिय रूप से कार्य करने के लिए निर्देश दिया गया है। विशेष रूप से संक्रमित व्यक्तियों को ट्रेस करते हुए होम आइसोलेशन में नहीं रहने का निर्देश दिया गया है। जरूरत पड़ने पर पुलिस बल की भी सहायता लेने की अनुमति दी गई है।