सात फरवरी को उत्तराखंड के चमोली में आई प्राकृतिक आपदा में झारखंड के 14 मजदूर लापता थे। हादसे के 12 दिन बाद गुरुवार को बरामद एक शव की पहचान लोहरदगा के मजदूर विक्की भगत के रूप में हुई है। विक्की के शव की शिनाख्त उनके पिता करमदास भगत ने की। वहीं, झारखंड के 13 मजदूर अभी भी लापता है जो कि एनटीपीसी के निर्माणाधीन सुरंग में फंसे थे।
बेटे को खोने के गम में विक्की के पिता गहरे सदमें में हैं। विक्की भगत लोहरदगा जिले के किस्को प्रखंड के बेटहठ पंचायत के महुरांगटोली का रहने वाला था। विक्की की मौत के खबर से पूरे गांव में शोक का माहौल है। अपने तीन भाई-बहनों में विक्की भगत सबसे बड़ा था। वहीं उनका भाई विकास भगत झारखंड पुलिस में कार्यरत हैं। वर्तमान में विकास लोहरदगा मंडल कारा में प्रतिनियुक्त है। श्रम अधीक्षक बीरेंद्र महतो दुर्घटनास्थल पर ही है और उन्होंने ने बताया कि शव की पहचान विक्की भगत के रूप में हो चुकी है।
इस हादसे में लोहरदगा के लापता 9 मजदूरों में से विक्की का शव मिलने के बाद 8 मजदूरों का अभी भी पता नहीं चल पाया है। इसके अलावा रामगढ़ के चार और बोकारो के एक मजदूर के बारे में भी उत्तराखंड प्रशासन कोई जानकारी ने दे पा रही है। इस बीच, झारखंड के श्रम मंत्री सत्यानंद भोक्ता ने विक्की भगत के परिवार को डेढ़ लाख रुपये की आर्थिक मदद करने की घोषणा की है। श्रम मंत्री ने यह भी कहा कि हमारी कोशिश है कि लापता लोगों के परिजनों को भी सहायता दी जाए।
इसके अलावा चमोली हादसे में फंसे झारखंड के 29 लोग सुरक्षित अपने घर पहुंच गए हैं। चमोली हादसे के बाद बनाए गए कंट्रोल रूम का नेतृत्व कर रहे जॉनसन टोपनो का कहना है कि लातेहर के दस, रामगढ़ और जामताड़ा के सात-सात, बोकारो के तीन और हजारीबाग के दो मजदूर अपने घर पहुँच चुके हैं। वहीं लापता मजदूरों में ज्योतिष बाखला, सुनील बाखला, नेमहस बाखला, मजनू बाखला, रविंद्र उरांव, उर्वानुस बाखला, प्रेम उरांव, दीपक कुजूर के बारे में कोई खबर नहीं मिली है। जिसकी वजह से उनके परिजनों में निराशा है। हालांकि लापता लोगों को ढूँढने के लिए राहत एवं बचाव कार्य अभी भी जारी है।