झारखंड विधानसभा में सोमवार को बजट सत्र के दौरान हेमंत सरकार केंद्रीय कृषि कानूनों पर चर्चा कराने का प्रस्ताव विधायकों को दे चुकी है। इस मुद्दे पर चर्चा हो ना हो, हंगामा के पूरे आसार अभी से दिखने लगे हैं। बजट सत्र के दौरान द्वितीय पाली में कृषि कानून को लेकर होने वाले वाद-विवाद का भाजपा विधायक विरोध करेंगे। भाजपा प्रदेश मुख्यालय में रविवार को मीडिया से बातचीत में भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने कहा कि कृषि बिल अब कानून बन गया है। इस पर किसी भी तरह की चर्चा अब असंवैधानिक है।
दूसरी ओर, कांग्रेस इसे सही करार देते हुए सदन के अंदर और बाहर भी तैयारियों में जुटी हुई है। इस मसले पर केंद्र को कठघरे में खड़ा करने की पूरी कोशिश होगी। झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के प्रवक्ता आलोक कुमार दूबे, लाल किशोरनाथ शाहदेव और डा राजेश गुप्ता छोटू ने कहा कि किसानों के लिए बनाये गये तीन नये केंद्रीय कानून पर चर्चा के प्रस्ताव की बात करने से ही भाजपा नेताओं की बेचैनी बढ़ जाती है और उन्हें यह भय सताने लगता है कि पूंजीपति मित्रों से सांठगांठ का पोल ना खुल जाए।
झारखंड मुक्ति मोर्चा के नेता भी सदन में भाजपा से लोहा लेते दिखेंगे। जो भी हो, बजट सत्र का समापन हंगामे के साथ होना तय माना जा सकता है।
इधर, आदिवासियों के धर्म को लेकर नसीहतों का दौर थम नहीं रह है। आदिवासी धर्म के नाम पर बाबूलाल को मानव शास्त्र का पाठ पढ़ाने वाले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को अब बाबूलाल ने अध्ययन करने की नसीहत दी है। बाबूलाल ने कहा कि देश में 700 से अधिक आदिवासी जातियां हैं। सिर्फ झारखंड में ही 32 जातियां हैं। सबकी अपनी पूजा पद्धति है। ऐसे में हम किसी धर्म की पूजा पद्धति पर कैसे टिप्पणी कर सकते हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री के ज्ञान को सीमित बताया। कहा कि बहुत से आदिवासी ईसाई बन गए हैं, अब उन्हें क्या कहेंगे। मुख्यमंत्री पर तंज कसते हुए उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मानव शास्त्र के ज्ञाता हैं लेकिन उन्हें अध्ययन की जरूरत है।