बिरसा हरित ग्राम योजना बनी ग्रामीणों के लिए रोजगार सृजन का माध्यम..

हेमंत सोरेन ने मनरेगा के अंतर्गत जिस बिरसा हरित ग्राम योजना का शुभारंभ किया था। उससे ग्रामीणों के जीवन में कई बदलाव देखने को मिल रहे हैं। इस योजना से जुड़े लोग अच्छी आमदनी कमा रहे हैं। ये योजना न सिर्फ उनके जीवन में आत्मनिर्भरता ला रही है बल्कि उन्हें क्षमतावान बना रही है। इस योजना के जरिए विभिन्न जिलों के आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, लघु व सीमांत किसानों को मनरेगा के अंतर्गत न केवल 100 दिनों का रोजगार मिला है बल्कि इससे अच्छी आमदनी भी हो रही है।

बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत वित्तीय वर्ष 2020-21 में राज्य के सभी 24 जिलों में लगभग 31,667.68 एकड़ निजी जमीन पर लगभग 3,26,800 फलदार वृक्ष के पौधे लगाए गए। साथ ही 37,764 ग्रामीण परिवारों को इस योजना से जोड़ा गया। जबकि, 2016 से 2020 तक संचालित योजना के तहत पांच वर्ष में मात्र 7,741 लाभुकों को ही इसका लाभ प्राप्त हुआ था। ग्रामीणों ने बिरसा हरित ग्राम योजना के तहत आम्रपाली, मल्लिका प्रजाति के आम एवं अमरूद, नींबू, थाई बेर, कटहल, शरीफा ,लेमन ग्रास, जैसे फलदार पौधों को लगा कर अपने लिए आजीविका का सृजन किया है। ये पौधे आने वाले कई सालों तक इनकी रोजगार की चिंता को दूर करेगा।

इतना ही नहीं इस योजना के अंतर्गत खुशबूदार, फलदार पौधों के साथ तसर कीट पालन को भी बढ़ावा देने की योजना है। वर्ष 2020-21 तक राज्य के 37,764 ग्रामीण परिवारों की 31,667.68 एकड़ निजी जमीन पर लगभग 3,26,800 फलदार वृक्ष एवं आठ लाख इमारती पौधे तैयार हो रहे हैं। ग्रामीणों ने मनरेगा अंतर्गत इस योजना में मिश्रित पौधरोपण कर रहे हैं। जिससे उन्हें दोगुना मुनाफा हो रहा है। इतना ही नहीं इसके अलावा 150 एकड़ भूमि पर तसर कीट-पालन एवं लाह पालन के लिए अर्जुन व सेमिआलता का पौधारोपण हुआ है। राज्य सरकार ने बिरसा हरित ग्राम योजना के अंतर्गत गैर-मजरुआ व सड़क किनारे की बंजर भूमि पर भी पौधारोपण को बढ़ावा दिया है ताकि उन्हें भी हरा-भरा बनाया जा सके।

हेमंत सरकार अपने लक्ष्य की ओर निरंतर अग्रसर है, इस योजना के माध्यम से ग्रामीणों को न सिर्फ आर्थिक सशक्तिकरण और परिसंपत्ति निर्माण करना है बल्कि उनके अंदर उस क्षमता का विकास करना है जिससे आजीवन वो अपने लिए रोजगार का सृजन कर सके। इसलिए इस योजना से जुड़े लोगों को समय-समय पर प्रशिक्षण दिया जाता है। अबतक 45 राज्य स्तरीय प्रशिक्षक, 800 प्रखंड स्तरीय मुख्य प्रशिक्षक एवं पंचायत व गांव स्तर पर 4,840 बागवानी सखी व मित्र को प्रशिक्षित किया गया, जिससे लाभुकों का क्षमाताव‌र्द्धन कराया जा सके। प्रशिक्षण का परिणाम भी सामने आ रहा है। 100 प्रतिशत बागवानी योजनाओं में लगाए गए पौधों की गिनती कराने पर पौधों के जीवित रहने का दर 88 प्रतिशत है।