बोकारो जिले के ऊपरघाट क्षेत्र में चल रहे नक्सली अभियान के तहत पुलिस ने एक बड़ी सफलता हासिल की है. गुरुवार को, पुलिस ने एक मुठभेड़ के दौरान दो नक्सलियों को मार गिराया और उनके पास से हथियार तथा अन्य सामान बरामद किया. इसके बाद, बोकारो और गिरिडीह पुलिस ने मिलकर 11 किमी क्षेत्र में जंगल की घेराबंदी की, ताकि शेष नक्सलियों को पकड़ा जा सके. पुलिस की कोशिश है कि घेराबंदी में कोई भी नक्सली बचकर भाग न पाए. पुलिस की कार्रवाई के बाद, जंगल के चारों ओर कड़ी निगरानी रखी जा रही है और यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि नक्सली इलाके से बाहर न जा सकें. जानकारी के मुताबिक, एक नक्सली घायल हुआ था और पुलिस उसे लगातार 36 घंटे से ढूंढ़ रही थी. ऐसी खबरें आ रही हैं कि घायल नक्सली ने किसी ग्रामीण चिकित्सक से इलाज कराया है और वह जंगल में छिपा हुआ है. इसके अलावा, मुठभेड़ के बाद पुलिस ने जरवा गांव के एक व्यक्ति होपन हेम्ब्रम को शक के आधार पर हिरासत में लिया और उससे पूछताछ की.
मारे गए नक्सलियों के शवों को 72 घंटे बाद किया जाएगा अंतिम संस्कार
पुलिस ने मारे गए नक्सलियों के परिजनों को सूचित कर दिया है और यदि वे शव लेने पेंक-नारायणपुर थाना नहीं पहुंचते हैं, तो पुलिस 72 घंटे बाद शवों का विधिवत अंतिम संस्कार कर देगी. पेंक-नारायणपुर पुलिस की एक टीम मारे गए नक्सलियों के घर जाकर परिजनों को सूचित करने के लिए भी गई है. मारे गए नक्सलियों में एरिया कमांडर शांति और नक्सली मनोज किस्कू शामिल थे. गुरुवार को मारे गए नक्सलियों के शव को लेकर आदिवासी गांव जरवा-इटवाबेड़ा के ग्रामीणों में भय का माहौल था. शाम होते ही, ग्रामीणों ने अपने घरों के दरवाजे बंद कर लिए थे. कुछ ग्रामीणों का कहना था कि पहले नक्सली उनके गांव में हथियार लेकर आते थे, लेकिन अब पुलिस के दबाव के कारण उनका आवागमन कम हो गया है.
रणबिजय महतो की गिरफ्तारी और उसे जेल भेजा गया
इस दौरान, पुलिस ने 15 लाख रुपये के इनामी नक्सली रणबिजय महतो को गिरफ्तार कर लिया. महतो को गुरुवार को तेनुघाट से गिरफ्तार कर जेल भेजा गया. हालांकि, रणबिजय को यह अभी तक नहीं पता था कि उसकी पत्नी शांति मुठभेड़ में मारी गई है. पुलिस ने रणबिजय से पूछताछ करने के लिए पेंक-नारायणपुर थाना में एक टीम गठित की थी, जिसमें विभिन्न पुलिस थाने, आइईबी, विशेष शाखा और सीआईडी की टीमें शामिल थीं.
जरवा गांव में माओवादियों का दबदबा
जरवा गांव की स्थिति भी खास है, क्योंकि इस गांव से एक और बड़े माओवादी नेता समर दा का संबंध है. समर दा, जो ओडिशा के एसडीएस डिवीजन का प्रभारी है और झारखंड, बिहार और ओडिशा की संयुक्त माओवादी कमेटी का हिस्सा है, एक करोड़ रुपये का इनामी है. समर दा का घर जरवा गांव में ही है और वह किशोरावस्था में ही हथियार उठाने के बाद गांव छोड़ चुका था. अब वह 40 साल के आस-पास का हो गया है.
बीजे ओबीआरसी क्षेत्र में माओवादियों के खिलाफ पुलिस की कार्रवाई
माओवादियों के खिलाफ बीजे ओबीआरसी (बंगाल-झारखंड-ओडिशा रीजनल कमेटी) क्षेत्र में भी पुलिस की कार्रवाई तेज हो गई है. पश्चिमी सिंहभूम, खूंटी और सरायकेला-खरसावां के ट्राइजंक्शन इलाकों में माओवादियों के दो दस्तों, दामपाड़ा और बेलपहाड़ी को खत्म करने की योजना बनाई जा रही है. यह इलाके पहले माओवादी गतिविधियों का प्रमुख केंद्र रहे हैं. पुलिस के अनुसार, माओवादियों के खिलाफ लगातार चलाए गए अभियानों की वजह से इन इलाकों में माओवादी दस्ते कमजोर पड़ चुके हैं. पुलिस ने पश्चिम बंगाल के अयोध्या पहाड़ी से माओवादियों को बाहर खदेड़ दिया है, और अब यह इलाका सरकार द्वारा पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है.
पुलिस की कार्रवाई से माओवादियों को भारी नुकसान
पुलिस की लगातार कार्रवाई के बाद माओवादी दस्ते के पास अब ज्यादा जगह नहीं बची है. दामपाड़ा और बेलपहाड़ी जैसे इलाके अब माओवादी गतिविधियों से मुक्त हो चुके हैं. इस बारे में अमोल वी. होमकर, आईजी ऑपरेशन ने कहा, “हमारी कार्रवाई से माओवादियों के खिलाफ दबाव बढ़ा है, और अब उनके पास सुरक्षित ठिकाने कम हो गए हैं. इसके अलावा, पूर्वी सिंहभूम में भी माओवादियों को ठहरने का कोई ठिकाना नहीं मिला है. यहां पुलिस ने लगातार माओवादी नक्सलियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की है, जिससे उनकी गतिविधियों को कड़ा झटका लगा है.
नक्सली गतिविधियों पर काबू पाना पुलिस की बड़ी चुनौती
पुलिस की कोशिश है कि झारखंड, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के इस सीमावर्ती इलाके में माओवादी गतिविधियों पर पूरी तरह से काबू पाया जाए. यह एक चुनौतीपूर्ण काम है, लेकिन पुलिस लगातार इन इलाकों में नक्सलियों को खत्म करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है. नक्सलियों के खिलाफ चल रही इन कार्रवाइयों से क्षेत्र में स्थिति को सामान्य करने में मदद मिल रही है, लेकिन यह ध्यान रखना होगा कि माओवादियों का समूल नाश करने के लिए और भी लंबा संघर्ष करना होगा.