झारखंड उच्च न्यायालय ने कोल्हान विश्वविद्यालय में संविदा पर सहायक प्रोफेसरों की नियुक्ति पर रोक लगा दिया है। जस्टिस एसके द्विवेदी की अदालत में कोल्हान विश्वविद्यालय में संविदा पर सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया। राज्य सरकार की ओर से की जा रही नियुक्ति पर रोक लगाते हुए राज्य सरकार और विश्वविद्यालय से इस संदर्भ में जवाब तलब किया है। राज्य सरकार ने कोल्हान विश्वविद्यालय, विनोबा भावे विश्वविद्यालय और विनोद बिहारी कोयलांचल विश्वविद्यालय में संविदा के आधार पर साल 2017 में सहायक प्रोफेसर की नियुक्ति की थी।
दरअसल सहायक प्रोफेसर के प्रदर्शन के आधार पर हर साल इनकी अवधि बढ़ाई जाती थी। लेकिन जनवरी में विज्ञापन निकालते हुए राज्य सरकार ने कहा कि साल 2017-18 में संविदा पर नियुक्त हुए सहायक प्रोफेसर की अवधि 31 मार्च 2021 को समाप्त हो रही है। इसलिए नई नियुक्ति की जाएगी । जिसके लिए पहले से काम करने वाले लोग भी आवेदन कर सकते हैं। सरकार के इस निर्णय के बाद उच्च न्यायालय में चुनौती दी गई।
दायर याचिका के पक्ष में वरीय अधिवक्ता अजीत कुमार और विकास कुमार ने बताया कि उच्चतम न्यायालय के आदेश के बाद झारखंड उच्च न्यायालय ने कई ऐसे आदेश दिए हैं जिसमें कहा गया है कि अगर विशेष परिस्थितियों में संविदा पर नियुक्ति की जाती है तो दोबारा उसी पद पर संविदा से होने वाली नियुक्ति से हटाया नहीं जा सकता। इसके बाद न्यायालय ने कोल्हान विश्वविद्यालय में होने वाली नियुक्ति पर रोक लगा दी है। हालांकि विनोबा भावे विश्वविद्यालय और विनोद बिहारी कोयलांचल विश्वविद्यालय का मामला अभी उच्च न्यायालय में लंबित है।