अर्जुन मुंडा, बाबूलाल मरांडी, संजय सेठ समेत 18 भाजपा नेताओं को हाईकोर्ट से राहत……

झारखंड हाईकोर्ट ने सोमवार को भाजपा के 18 नेताओं को बड़ी राहत देते हुए उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी को रद्द करने का आदेश दिया. इस फैसले से पूर्व केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा, झारखंड के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी, सांसद संजय सेठ, विधायक नवीन जायसवाल, पूर्व मंत्री अमर कुमार बाउरी, सांसद बीडी राम, राज्यसभा सांसद दीपक प्रकाश, नारायण दास और अमित मंडल समेत अन्य भाजपा नेताओं को बड़ी राहत मिली है. इनके खिलाफ मुख्यमंत्री आवास घेराव करने के मामले में लालपुर थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी, जिसे हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया.

क्या है मामला?

वर्ष 2024 में भाजपा नेताओं द्वारा मोरहाबादी में विरोध प्रदर्शन किया गया था, जिसमें पुलिस से झड़प भी हुई थी. इस दौरान भाजपा नेताओं पर उपद्रव करने, दंगा भड़काने, सरकारी निर्देशों का उल्लंघन करने और सरकारी काम में बाधा डालने जैसी गंभीर धाराओं में प्राथमिकी दर्ज की गई थी. लालपुर थाने में कांड संख्या 203/2024 के तहत यह मामला दर्ज किया गया था. भाजपा नेताओं ने इस प्राथमिकी को रद्द करवाने के लिए झारखंड हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था.

हाईकोर्ट का फैसला

सोमवार को झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस अनिल कुमार चौधरी की अदालत में इस मामले की सुनवाई हुई. भाजपा नेताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता प्रशांत पल्लव, पार्थ जालान और शिवानी ने पक्ष रखा. उन्होंने अदालत को बताया कि भाजपा नेताओं के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी राजनीति से प्रेरित है और इसमें कोई ठोस आधार नहीं है. इसके बाद अदालत ने लालपुर थाने में दर्ज प्राथमिकी को निरस्त करने का आदेश दिया.

भाजपा नेताओं को क्यों मिली राहत?

भाजपा नेताओं की ओर से दायर याचिका में तर्क दिया गया कि विरोध प्रदर्शन लोकतांत्रिक अधिकार है और उनके खिलाफ दर्ज प्राथमिकी राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है. उन्होंने यह भी कहा कि किसी भी विरोध प्रदर्शन को दंगा या उपद्रव की श्रेणी में नहीं डाला जा सकता. अदालत ने इन तर्कों को स्वीकार करते हुए एफआईआर को निरस्त कर दिया.

भाजपा नेताओं की प्रतिक्रिया

फैसले के बाद भाजपा नेताओं ने इसे न्याय की जीत बताया. झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने कहा, “हमने लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाई थी. सरकार हमें डराने की कोशिश कर रही थी, लेकिन न्यायालय ने सच्चाई को स्वीकार किया और हमारे पक्ष में फैसला दिया.” वहीं, सांसद संजय सेठ ने भी कहा, “यह फैसला लोकतंत्र और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की जीत है. झारखंड सरकार ने हमें फंसाने की कोशिश की थी, लेकिन न्यायालय ने हमें न्याय दिलाया”.

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