रामगढ़ में उपचुनाव की तारीख का ऐलान, 27 फरवरी को वोटिंग और 2 मार्च को है काउंटिंग..

रांची: झारखंड में रामगढ़ विधानसभा का उपचुनाव 27 फरवरी होगा। भारत निर्वाचन आयोग की ओर से बुधवार को इसकी घोषणा की गई। आयोग ने एक लोकसभा और देश के अलग-अलग राज्यों में 6 विधानसभा सीटों के लिए उपचुनाव की तिथि की घोषणा की है। कांग्रेस की पूर्व विधायक ममता देवी की विधानसभा सदस्यता रद्द होने के कारण रामगढ़ में उपचुनाव होना है। उपचुनाव को लेकर सभी प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से अपनी तैयारियां शुरू कर दी गई है। साल 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की ममता देवी ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी आजसू पार्टी की सुनीता चौधरी को पराजित किया था। उपचुनाव को लेकर आजसू पार्टी की ओर से मुख्य विपक्षी दल बीजेपी से समर्थन हासिल करने की कोशिश की जा रही है। उपचुनाव की घोषणा के साथ ही रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में तत्काल प्रभाव से आदर्श आचार संहिता लागू हो गई है।

भारत निर्वाचन आयोग की ओर जारी घोषणा के साथ ही रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव के लिए 31 जनवरी को अधिसूचना जारी होगी और इसी के साथ चुनाव के लिए नामांकन भी शुरू हो जाएगा। नामांकन दाखिल करने की अंतिम तारीख सात फरवरी निर्धारित की गई है। दाखिल नामांकन पत्रों की जांच आठ फरवरी को होगी और 10 फरवरी तक नामांकन वापस लिए जाएंगे। रामगढ़ विधानसभा उप चुनाव के लिए 27 फरवरी को मतदान होगा। मतगणना दो मार्च को निर्धारित की गई है। 4 मार्च तक चुनाव की सारी प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी। आयोग के अनुसार उपचुनाव 5 जनवरी 2023 को घोषित मतदाता सूची के आधार पर होगी। मतदान में ईवीएम और वीवीपैट मशीन का उपयोग होगा। जबकि मतदाता पहचान पत्र नहीं होने की स्थिति में 12 वैकल्पिक पहचान पत्र की सुविधा उपलब्ध कराई गई है।

रामगढ़ उपचुनाव में 506 ईवीएम और 547 वीवीपैट का इस्तेमाल होगा। 5 जनवरी 2023 को प्रकाशित नई मतदाता सूची के अनुसार रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 3 लाख 34 हजार 167 मतदाता हैं, जिसमें 1 लाख 72 हजार 923 पुरुष, 1 लाख 61 हजार 244 महिला मतदाता शामिल हैं। गौरतलब है कि रामगढ़ में 2009 विधानसभा चुनाव में 67.63%, 2014 में 70.72% और 2019 विस चुनाव में 71.36 प्रतिशत मतदान हुआ था।

बता दें कि रामगढ़ के आईपीएल फैक्ट्री में 2016 में विस्थापितों ने 16 सूत्रीय मांगों को लेकर आंदोलन किया था जिसका तत्कालीन जिलापरिषद सदस्य ममता देवी ने नेतृत्व किया था। महीने भर चला यह आंदोलन एक समय उग्र रूप धारण कर लिया था जिससे पुलिस को आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े थे और आत्मरक्षा में गोली चलानी पड़ी थी। इस घटना में दो लोगों की मौत हो गई थी जबकि कई घायल हो गए थे।

इस आंदोलन ने ममता देवी को जनता ने विधायक तो बना दिया लेकिन कोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए ममता देवी को दोषी पाया। कोर्ट ने ममता देवी पर दस हजार का जुर्माना लगाते हुए पांच साल की सजा सुनाई थी। पांच साल की सजा सुनाए जाने के कारण वह विधानसभा सदस्यता की अर्हता खो दीं और विधानसभा द्वारा उनकी सदस्यता रद्द कर दी गई।