Jharkhand: बहुत सी कहानियां या फिर हकीकत में भी आपने देखा होगा कि आपसी लेनदेन के लिए जहां हम पैसे देते हैं वही वस्तु विनिमय प्रणाली यानी अनाज से जरूरी समानों का बदलाव प्रचलन में था, वहीं अनाज के लिए अलग मापक होता था। अनाज के वजन के इस मापक का आधिपत्य अस्सी के दशक तक आपसी समन्वय के माध्यम से चला। हालांकि अस्सी के दशक के बाद अनाज के वजन के मापन की यह प्रक्रिया लगभग समाप्त हो गई है। इसके बदले में तोलने या मशीनों की नई प्रक्रिया परिचालन में आ गई। जब की इतने वर्ष बाद भी झारखंड कोल्हान के गांवों में अनाज के वजन की यह प्रक्रिया आज भी पुराने स्वरूप में कायम है। इसे पोईला कहा जाता है। छोटे-मोटे बाजार में ही नहीं, सप्ताह में लगने वाले बड़े बाजारों में भी में अनाज की खरीदारी का यही मापक का प्रयोग होता है।
लोट के आकार का एक पोईला…
नापतोल के लिए बाजारों में मशीनों का प्रचलन आ गया है। इसके बावजूद पूर्वी सिंहभूम के प्रसिद्ध हल्दीपोखर हाट से लेकर पश्चिमी सिंहभूम के चाईबासा हाट तक चावल, धान, दाल की खरीद बिक्री पोईला से ही होती और यहां के लोगों को इस पारंपरिक प्रथा से परहेज भी नहीं है। जिन लोगों ने कभी भी पोईला का इस्तेमाल नहीं किया है उनके लिए नापतोल कि ये प्रक्रिया बहुत ही दिलचस्प होती है। लोट के आकार का एक पोईला का मतलब तकरीबन एक किलो की मात्रा होती है। हालांकि इसमें थोड़ा अंतर जरूर होता है।
ग्राहक भी रखते हैं अपना पोईला…
पोईला का आकार वैसे तो छोटा बड़ा भी होता है। अनाज की कीमत तय करने के लिए छोटे बड़े पोईला पर निर्भर करता है। आधा,एक, दो तक के भी पोईला आते है। जब भी कोई व्यक्ति कुछ सामान खरीदने बाजार जाता है तो वह अपने साथ अपना पोईला लेकर जाता है। विक्रेता के पोईला व अपने । पोईला से अनाज की मात्रा को मापता है, अगर क्रेता का पोईला बड़ा होता है तो उसी के आधार पर एक पोइला अनाज की कीमत ऊपर-नीचे कर तय की जाती है।
व्यापारी भी करते हैं पोईला का उपयोग…
हल्दीपोखर हाट में एक महिला शांखो मार्डी बताती हैं कि वह जिस पोईला से चावल बेच रही है, वह करीब तीन पीढ़ी से उनके घर में है। और उनके पास जो पोईला है उसमें एक किलो से थोड़ा ज्यादा अनाज आता है। कहतीं हैं कि पोईला के इस्तेमाल से बटखारे और तराजू के झमेले से दूर ही रहते है। इसलिए शुरू से इसी का इस्तेमाल कर रहे है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसके वजन को लेकर आज तक कोई भी ग्राहक शिकायत करने नहीं आया और साथ ही खरीदने वालों को इससे कोई परेशानी नहीं है। गांव में धान लेने आए व्यापारी भी धान का मापन पोईला से ही करते है।