झारखंड में सरकार गिराने की साजिश की कड़ियों को जोड़ने के लिए रांची पुलिस ने अपनी तफ्तीश तेज कर दी है। मामले की जांच के लिए रांची पुलिस ने एसआइटी बनाया है। इसमें डीएसपी, इंस्पेक्टर और एसआइ रैंक के अफसर शामिल किये गये हैं। टीम चार भागों में बांटी गयी है। इनमें से एक टीम जांच के लिए दिल्ली रवाना हुई, जबकि रविवार को होटल ली-लैक व रांची एयरपोर्ट भी टीम जांच के लिए गयी थी। इसके साथ ही साक्ष्य जुटाने के लिए पुलिस अब गिरफ्तार तीनों आरोपियों अभिषेक कुमार दुबे, निवारण कुमार महतो और अमित सिंह को रिमांड पर लेगी और उनसे पूछताछ करेगी। इसके लिए जल्द अदालत में आवेदन दिया जाएगा।
पुलिस ने रांची के होटल के उन चार कमरों 407, 307, 310 और 611 नंबर की भी तलाशी ली, जहां 21 जुलाई को महाराष्ट्र के भाजपा विधायक चंद्रशेखर राव के भांजे जयकुमार बेलखड़े के साथ मोहित भारतीय, अनिल कुमार, जयकुमार शंकरराव, आशुतोष ठक्कर (सभी महाराष्ट्र के निवासी) के ठहरे होने की बात कही जा रही है। एक टीम रांची के बिरसा मुंडा एयरपोर्ट और दूसरी टीम चुटुपालू टोल प्लाजा गयी थी। इन जगहों से फुटेज जुटाने का प्रयास पुलिस कर रही है।
दूसरी तरफ रांची के खलारी डीएसपी अनिमेष नैथानी के नेतृत्व में पुलिस की टीम दिल्ली गई है। साजिश का सबूत जुटाने के लिए पुलिस टीम दिल्ली में उन होटलों से साक्ष्य जुटायेगी जहां विधायक ठहरे थे और महाराष्ट्र के कथित नेताओं से मुलाकात हुई थी। जानकारी के अनुसार पुलिस उन जगहों का सीसीटीवी फुटेज और होटल का रिकॉर्ड भी खंगालेगी। खरीद फरोख्त के मामले में कथित तौर पर मध्यस्थता करने में गिरफ्तार अभिषेक और निवारण ने बताया था कि 15 जुलाई की शाम की फ्लाइट से तीनों विधायकों के साथ वे लोग दिल्ली गए थे। इसके बाद वहां एक होटल में तीनों विधायकों के साथ महाराष्ट्र के नेताओं की मुलाकात जयकुमार बलखेड़े ने करवायी थी। जांच के लिए दिल्ली गई टीम को निर्देश दिया गया है कि वह होटल के 15 जुलाई की शाम की सीसीटीवी विजुअल्स को जब्त करें। वहीं उसी शाम निवारण ने दूसरे जाने की बात कहीं थी, तब उसके साथ जयकुमार के होने की बात कही गई थी। ऐसे में पुलिस की टीम होटल हैरियर की भी सीसीटीवी खंगालेगी।
डीएसपी सदर बनाये गये आइओ..
मामले में कोतवाली थाना में दर्ज केस के अनुसंधानकर्ता बदल दिये गये हैं। केस के आइओ रांची के सदर डीएसपी प्रभात रंजन बरबार को बनाया गया है। केस में पीसी एक्ट लगा हुआ है। ऐसे में नियम के तहत अनुसंधानकर्ता डीएसपी रैंक के अफसर को ही बनाया जा सकता है। लेकिन कोतवाली थाना के ट्रेनी दारोगा कमलेश राय को अनुसंधानकर्ता बना दिया गया था। विभाग को गलती का एहसास हुआ तो इसे सुधारा गया।