गिरिडीह के मधुबन स्थित बीस तीर्थंकरों की निर्वाण भूमि सम्मेद शिखर में एक बार फिर से रौनक लौट आयी है| यहां एक बार फिर से तीर्थयात्री जुटने लगे हैं| दरअसल कोरोना संकट के बाद लगभग एक साल से सभी मंदिर और धाम बंद दे| कोरोमा संक्रमण को देखते हुए श्रद्धालुओं के आने पर रोक लगी हुई थी|
ऐसे में अब स्थिति थोड़ी सामान्य होने के बाद एक बार फिर से मंदिरों और धामों में श्रद्धालु पहुंचने लगे हैं| मधुबन के सम्मेद शिखर पर भी अब लोग आस्था के साथ पूजा-पाठ के लिए आ रहे हैं|
तीर्थयात्री यहां स्थित 20 तीर्थंकरों में भगवान पार्श्वनाथ, भगवान आदिनाथ, नेमीनाथ, बिमलनाथ, अभिनंदन नाथ, पुष्पदंत नाथ, चन्द्रप्रभु, सुपाश्र्वनाथ, संभवनाथ समेत अन्य तीर्थंकरो के दर्शन और पूजा के लिए निर्वाण भूमि पहुंच रहे हैं|
हालांकि हर साल जिस अनुपात में यात्री यहां दर्शन के लिए आते थे उसके मुकाबले अभी की संख्या उतनी नहीं है| लेकिन फिर भी दोबारा से शुरू हुई इस चहल-पहल से आसापस के इलाकों में और स्थानीय लोगों में भी उत्साह है| वो जिनकी आय का श्रोत ही यहां आने वाले श्रद्धालुओं से था, उनकी दुकान भी एक बार फिर से शुरू हो गई है| रोजगार के अभाव में बैठे डोली मजदूरों ने भी राहत की सांस ली है|यहां फिर से डोली मजदूर बूढ़े और जवान तीर्थयात्रियों को पारसनाथ पहाड़ लाते और ले जाते नजर आएं|
मालूम हो कि मधुबन की जैन श्वेताबंर सोसाइटी, तेरहपंथी कोठी मधुबन, 20 पंथी कोठी, कच्छी भवन, तलहटी तीर्थ, उत्तर प्रदेश भवन, प्रकाश भवन, जैन भवन और निहारिका भवन में तीर्थयात्रियों का आना-जाना लगा रहता है|
ऐसे में अब एक बार फिर इस तीर्थस्थान में जब रंगत लौटी है तो इन कोठियों के प्रबंधकों की उम्मीद भी बढ़ी है| हर साल होली में जिस प्रकार तीर्थयात्री भोमिया जी भवन में होली खेलने जुटते हैं, उम्मीद है कि इस साल भी जुटेंगे|
इसे लेकर भी यहां तैयारी भी की जा रही है |आपको बता दें कि भोमिया भवन में होलीका दहन के दिन की होली मधुबन के लिए बेहद खास रहती है|
इसके अलावा मधुबन स्थित पारसनाथ पहाड़ी की तलहटी में जिन मंदिर का निर्माण कार्य पिछले साल भर से बंद था, वो भी फिर से शुरू हो गया है| फिलहाल मजदूरों द्वारा पत्थर तराशने का काम किया जा रहा है|