जिस छुटनी देवी को गांववालों ने बताया था डायन आज उन्हें मिला पद्मश्री सम्मान..

जिस महिला को कभी डायन कह कर घर-गांव से निकाल दिया गया था आज उस छुटनी महतो के नाम के आगे भारत का श्रेष्ठ सम्मान पद्मश्री जुड़ गया है। अपनी शादी के 16साल बाद डायन प्रथा का दंश झेलने वाली और अब इस कुप्रथा के खिलाफ लड़ाई लड़ने वाली झारखंड की छुटनी महतो को पद्मश्री सम्मान से नवाजा जाएगा। सरायकेला-खरसावां की छुटनी देवी को ये सम्मान उनके द्वारा डायन प्रथा के खिलाफ किये जा रहे सामाजिक कार्यों के लिए दिया जा रहा है।

बता दें कि देश के 72वें गणतंत्र दिवस की पूर्व संध्या को केंद्र सरकार ने वर्ष 2021 के लिए पद्म पुरस्कारों की घोषणा की। इसमें पद्मश्री पुरस्कार के लिए चुने गये 102 लोगों में झारखंड के सरायकेला-खरसावां की छुटनी महतो भी शामिल हैं।

छुटनी महतो को घर वालों और गांव वालो ने डायन करार कर उन्हें प्रताडि़त किया। पेड़ से बांध कर उन्हें गवंवालों ने ना सिर्फ पीटा बल्कि जबरन मल खिलाने की भी कोशिश की। जब उन्हें अंदेशा हुआ की उनकी हत्या कर दी जाएगी तो वो अपने बच्चों को लेकर भाग गई। अपने आठ महीने समेत चार बच्चों को लेकर छूटनी कई दिनों तक पेड़ के नीचे रहीं। आज वही औरत अपनी जैसी असंख्य महिलाओं की ताकत बन गई है।

सरायकेला खरसावां जिले के गम्हरिया प्रखंड की बिरबांस पंचायत के भोलाडीह गांव में रहने वाली छुटनी महतो, वहीं एसोसिएशन फॉर सोशल एंड ह्यूमन अवेयरनेस (आशा) के सौजन्य से संचालित पुनर्वास केंद्र चलाती है। वह बतौर आशा की निदेशक (सरायकेला इकाई) में यहां कार्यरत है।

छुटनी महतो कहती हैं कि पद्मश्री क्या होता है, उन्हें तो मालूम भी नहीं। उन्होंने बताया कि लेकिन हां ये कोई बड़ी चीज तो जरूर है ये पता है, तभी मुझे लगातार फोन आ रहा है। छुटनी ने बताया कि उन्हें करीब सुबह 11 बजे प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) से फोन आया और फोन करने वाले ने बोला कि आपको पद्मश्री मिलेगा। छुटनी ने कहा कि अभी टाइम नहीं है, एक घंटे बाद फोन करना। दोपहर 12.15 बजे दोबारा फोन आया और कहा कि आपका नाम और फोटो सभी अखबार और टीवी में आएगा। गांव के लोग तभी से काफी खुश हैं। बाहर से भी लगातार फोन आ रहा है, इससे लग रहा है कि ये जरूर कोई बड़ी चीज है।

मरते दम तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा..
छुटनी महतो का कहना है कि डायन के नाम पर उन्होंने गहरा जख्म झेला है। चार बच्चों को लेकर घर छोडऩा पड़ा। वो कहती है कि अगर वो सच में मैं डायन होती तो उन अत्याचारियों को खत्म कर देती, लेकिन ऐसा कुछ होता है नहीं है। तांत्रिक के कहने पर ग्रामीणों ने मेरे ऊपर ऐसा जुल्म किया, जिसकी कल्पना सभ्य समाज नहीं कर सकता है। पुलिस-प्रशासन भी ऐसे लोगों के खिलाफ कार्रवाई नहीं करता। ऐसे में उस असभ्य समाज में जहां नारी को सम्मान नहीं मिलत, उससे मरते दम तक मेरा संघर्ष जारी रहेगा।

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