झारखंड के बोकारो जिले की बेटियों ने आत्मनिर्भरता की मिसाल पेश की है. यहां की छह छात्राओं – पूजा, अपर्णा, रानी, दीपिका, उषा और प्रीति – ने मिलकर एक स्टार्टअप की शुरुआत की है, जो न सिर्फ उनके लिए स्वरोजगार का साधन बना है, बल्कि कई अन्य लड़कियों और ग्रामीण महिलाओं को भी रोजगार की दिशा दिखा रहा है.
राजकीय स्कूल से मिला प्रशिक्षण बना आधार
बोकारो जिले के दांतू गांव की रहने वाली ये छात्राएं पहले राजकीय प्लस टू उच्च विद्यालय, दांतू में पढ़ाई करती थीं. वहीं पर साल 2021-22 में शिक्षक अनिमेष चंद्रा ने उन्हें एलईडी बल्ब बनाने का मुफ्त प्रशिक्षण दिया. यहीं से उनके मन में कुछ नया करने की सोच पैदा हुई. बाद में सभी छात्राएं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाई करने लगीं और अपने विचार को एक स्टार्टअप में बदलने का फैसला किया.
“एआरडी इलेक्ट्रिकल बोकारो” की शुरुआत
इन छात्राओं ने अपने स्टार्टअप का नाम एआरडी इलेक्ट्रिकल बोकारो रखा. इस कंपनी के ज़रिए वे एलईडी बल्ब बनाकर बेच रही हैं. साथ ही, उन्होंने अन्य छात्राओं और महिलाओं को भी यह हुनर सिखाना शुरू किया है, ताकि वे भी आत्मनिर्भर बन सकें.
जयपुर में ली इंटर्नशिप, सीखा उत्पादन और मार्केटिंग
साल 2023 में सभी छात्राओं ने जयपुर जाकर इंटर्नशिप की, जहाँ उन्होंने बल्ब बनाने के साथ-साथ उसके मार्केटिंग और ब्रांडिंग के गुर भी सीखे. इसके बाद इन्होंने आपसी सहयोग से पैसे इकट्ठा कर बल्ब बनाने के लिए ज़रूरी सामान जैसे बेस, हाउसिंग, ड्राइवर, एलईडी पैनल और डिफ्यूज़र मंगवाया. फिर अपने घरों में ही बल्ब जोड़ने का काम शुरू किया और बोकारो के आसपास के दुकानदारों की मदद से बिक्री भी शुरू कर दी.
बल्ब बनाने से मिल रही है आय, आत्मनिर्भर बनीं छात्राएं
छात्रा उषा कुमारी के अनुसार, एक बल्ब बनाने में सिर्फ 5 से 10 मिनट का समय लगता है. 9 वाट से लेकर 50 वाट तक के बल्ब बनाकर ये छात्राएं 60 रुपये से लेकर 500 रुपये तक में बेचती हैं. इससे हर छात्रा को हर महीने 5 से 7 हजार रुपये की आय हो रही है. इस आय से वे अपनी पढ़ाई और घर की छोटी-मोटी जरूरतें पूरी कर पा रही हैं.
कई छात्राएं और महिलाएं ले रहीं प्रशिक्षण
पूजा, प्रीति और रानी वर्तमान में राजकीय पॉलिटेक्निक गोला में, दीपिका दुमका में और उषा बोकारो के महिला पॉलिटेक्निक कॉलेज में पढ़ रही हैं. ये छात्राएं अब अपने कॉलेज और आस-पास की लड़कियों को भी एलईडी बल्ब बनाना सिखा रही हैं. इसके अलावा, गांव की महिलाओं को भी प्रशिक्षित कर उन्हें आत्मनिर्भर बनने में मदद कर रही हैं.
उपायुक्त और विश्वविद्यालय का सहयोग
छात्राओं की इस पहल की सराहना बोकारो की उपायुक्त विजया जाधव ने भी की है. इसके साथ ही, जनवरी 2025 में इन छात्राओं ने झारखंड प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, रांची में एक आइडिया पिचिंग प्रतियोगिता में भाग लिया, जहाँ से उन्हें 50 हजार रुपये की आर्थिक सहायता मिली. इस फंड से इन्होंने दांतू गांव में एक कौशल विकास केंद्र की स्थापना की है, जहाँ अब ग्रामीण महिलाएं प्रशिक्षण प्राप्त कर रही हैं.
ग्रामीण महिलाओं के लिए बनी प्रेरणा
गांव की महिलाएं, जैसे माधुरी देवी और प्रमिला देवी का कहना है कि इन छात्राओं ने उन्हें एक नई राह दिखाई है. अब वे भी अपने हाथों से कुछ बनाने और बेचने के लिए उत्साहित हैं. उषा कुमारी ने भविष्य में कृषि अपशिष्ट और ई-कचरे से जुड़ी नई परियोजनाओं पर काम करने की योजना भी जाहिर की है.