बोकारो में 85.75 एकड़ वन भूमि का बदला स्वरूप, अनियमितताओं की जांच जारी…..

बोकारो जिले के तेतुलिया मौजा की 85.75 एकड़ वन भूमि का स्वरूप बदल दिए जाने का मामला सामने आया है. पहले यह भूमि कडेस्टरल सर्वे में जंगल साल के रूप में दर्ज थी, लेकिन 1980 के बाद प्रारंभ किए गए रिविजनल सर्वे में इसका स्वरूप बदल दिया गया. वर्ष 2013 में प्रकाशित अंतिम खतियान में इसे पुरानी पस्ती की श्रेणी में डाल दिया गया, जो भारत सरकार के दिशा-निर्देशों और वन संरक्षण एवं संवर्द्धन अधिनियम-1980 का स्पष्ट उल्लंघन है.

वन भूमि के स्वरूप परिवर्तन का विवाद

तेतुलिया मौजा के चास थाना नंबर-38 के खाता नंबर-59 में कडेस्टरल सर्वे के अनुसार प्लॉट संख्या 450 और 426 को जंगल साल के रूप में दर्ज किया गया था. यह गैर आबाद मालिक खाते की भूमि थी, जिसका कुल रकबा 85.75 एकड़ था. 24 मई 1958 को बिहार गजट में इसे सुरक्षित वन भूमि के रूप में अधिसूचित किया गया था. बोकारो के वन प्रमंडल पदाधिकारी ने 22 जनवरी को उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त को पत्र लिखकर इस भूमि की प्रकृति फिर से साल जंगल के रूप में बहाल करने और अनियमितता के लिए जिम्मेदार पदाधिकारियों व कर्मचारियों पर कार्रवाई की मांग की है.

वन भूमि का इस्पात संयंत्र को हस्तांतरण

बिहार सरकार की अधिसूचना और राजस्व विभाग के सचिव के आदेश के तहत तेतुलिया मौजा की 908.98 एकड़ वन भूमि में से 864.21 एकड़ धनबाद वन प्रमंडल द्वारा बोकारो इस्पात संयंत्र को हस्तांतरित की गई थी. लेकिन शेष भूमि का स्वरूप बदलने में अनियमितता बरती गई, जो कानून का उल्लंघन है.

सीआईडी कर रही है मामले की जांच

बोकारो के वन प्रमंडल पदाधिकारी द्वारा भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया है कि इस मामले में बोकारो के सेक्टर-12 थाना में दर्ज केस की जांच वर्तमान में सीआईडी कर रही है. इसमें कई बड़े अधिकारियों और कर्मचारियों की संलिप्तता सामने आ सकती है.

10 डिसमिल जमीन का नाम सुधार कर 74.38 एकड़ कर दी

उत्तरी छोटानागपुर प्रमंडल के आयुक्त को भेजे गए पत्र में वन प्रमंडल पदाधिकारी ने खुलासा किया है कि वर्ष 2013 में तत्कालीन सहायक बंदोबस्त पदाधिकारी, बोकारो के कोर्ट में महेंद्र कुमार मिश्रा नामक व्यक्ति ने तेतुलिया मौजा के प्लॉट संख्या 426 व 450 में मात्र 10 डिसमिल भूमि के नाम सुधार के लिए सीएनटी वाद 4330/2013 दायर किया था. बाद में, 19 जनवरी 2015 को यह वाद खारिज कर दिया गया क्योंकि मूल वादी ने इसमें रुचि नहीं ली. लेकिन 2015 में बिना सक्षम स्तर की अनुमति के इस वाद को पुनर्जीवित कर दिया गया और मध्यपक्षीय आवेदक इजहार हुसैन के आवेदन को सुनवाई के लिए स्वीकार कर लिया गया. आश्चर्यजनक रूप से, 2021 में महेंद्र कुमार मिश्रा के मूल आवेदन में टेंपरिंग करते हुए उमायुश मल्टीकॉम प्राइवेट लिमिटेड को मध्यपक्षीय वादी बना दिया गया. इसके अलावा, मूल आवेदन में दर्ज 10 डिसमिल भूमि को काटकर 74.38 एकड़ कर दिया गया, जबकि 10 डिसमिल भूमि में कोई सुधार नहीं किया गया.

दोषियों पर कार्रवाई की मांग

वन प्रमंडल पदाधिकारी ने रिपोर्ट में यह भी कहा है कि महेंद्र कुमार मिश्रा द्वारा दायर आपराधिक वाद संख्या 5317/2024 के अनुसार, उन्होंने 2014 के बाद कभी सहायक बंदोबस्त कार्यालय, बोकारो में प्रवेश नहीं किया. बावजूद इसके, उनके नाम से मध्यपक्षीय बनाने संबंधी फर्जी आवेदन दायर किया गया. इस पूरे मामले में शामिल अधिकारियों और कर्मचारियों की भूमिका की जांच की जा रही है. वन विभाग ने मांग की है कि दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की जाए और वन भूमि को पुनः संरक्षित श्रेणी में डाला जाए. मामले की गंभीरता को देखते हुए सीआईडी इस पूरे फर्जीवाड़े की गहन जांच कर रही है.

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