झारखंड के 48 नगर निकायों में से 14 में मई 2020 से ही चुनाव लंबित हैं. इनमें धनबाद, देवघर और चास नगर निगम के साथ विश्रामपुर, झुमरी तिलैया, गोमिया और चक्रधरपुर नगर परिषद शामिल हैं. इसके अलावा, कोडरमा, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महगामा नगर पंचायतों का कार्यकाल भी मई 2020 में समाप्त हो गया था. शेष 34 नगर निकायों का कार्यकाल अप्रैल 2023 में खत्म हो गया.
हाईकोर्ट में सुनवाई और सरकार की दलील
गुरुवार को झारखंड हाईकोर्ट में नगर निकाय चुनाव को लेकर सुनवाई हुई. राज्य की मुख्य सचिव अलका तिवारी ने अदालत को बताया कि ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया अंतिम चरण में है. भारत निर्वाचन आयोग से संशोधित मतदाता सूची प्राप्त होते ही चार माह के भीतर चुनाव कराए जाएंगे. इस पर अदालत ने निर्वाचन आयोग को एक सप्ताह के भीतर मतदाता सूची जारी करने का निर्देश दिया.
प्रार्थी का पक्ष:
प्रार्थी रोशनी खलखो के वकील विनोद कुमार सिंह ने अदालत को बताया कि झारखंड में चुनाव में देरी असंवैधानिक है. उन्होंने कहा कि 4 जनवरी 2024 को एकलपीठ ने सरकार को तीन सप्ताह में चुनाव कराने का आदेश दिया था. सरकार ने इस आदेश के खिलाफ अपील करते हुए खंडपीठ में याचिका दायर की थी. हालांकि, खंडपीठ ने भी सरकार की अपील खारिज करते हुए एकलपीठ के आदेश को सही ठहराया.
सरकार की प्रक्रिया पर कोर्ट की नाराजगी:
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने ट्रिपल टेस्ट प्रक्रिया का बहाना बनाकर चुनाव में देरी पर नाराजगी जताई. अदालत ने स्पष्ट किया कि चुनाव कराने के लिए ट्रिपल टेस्ट की शर्त अनिवार्य नहीं है और सरकार को तुरंत चुनाव प्रक्रिया शुरू करनी चाहिए.
भारत निर्वाचन आयोग का पक्ष:
भारत निर्वाचन आयोग की ओर से अदालत को बताया गया कि हर साल 5 जनवरी को संशोधित मतदाता सूची जारी होती है. लेकिन इस बार सूची में देरी हो रही है. आयोग ने कहा कि सूची 13 जनवरी को राज्य निर्वाचन आयोग को सौंप दी गई थी, लेकिन इसे सार्वजनिक करना बाकी है. हाईकोर्ट ने इस देरी पर सवाल उठाते हुए एक सप्ताह में सूची जारी करने का निर्देश दिया.
निकाय चुनाव के लिए हाईकोर्ट के आदेश:
हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य सरकार को चुनाव कराने में देरी के लिए किसी भी बहाने का सहारा नहीं लेना चाहिए. अदालत ने यह भी कहा कि चुनाव जल्द से जल्द कराना सरकार की जिम्मेदारी है और अदालत के आदेश का पालन अनिवार्य है.
चुनाव प्रक्रिया में देरी का इतिहास:
झारखंड में नगर निकाय चुनावों को लेकर याचिका पहली बार 22 दिसंबर 2023 को दायर की गई थी. इसके बाद 4 जनवरी 2024 को एकलपीठ ने तीन सप्ताह में चुनाव कराने का आदेश दिया. लेकिन, सरकार ने 31 जनवरी 2024 को इस आदेश के खिलाफ खंडपीठ में याचिका दायर की. खंडपीठ ने 12 सितंबर 2024 को एकलपीठ के आदेश को सही ठहराते हुए सरकार की अपील खारिज कर दी और चुनाव कराने का निर्देश दिया.
नगर निकाय चुनाव की मौजूदा स्थिति:
राज्य सरकार ने हाईकोर्ट को भरोसा दिलाया है कि लोकसभा चुनाव से पहले नगर निकाय चुनाव करा लिए जाएंगे. इसके लिए संशोधित मतदाता सूची का इंतजार किया जा रहा है. राज्य की 14 नगर निकायों में 2020 से और 34 निकायों में 2023 से चुनाव लंबित हैं.
लंबित चुनाव से प्रभावित निकायों की सूची:
मई 2020 से जिन 14 निकायों में चुनाव लंबित हैं, उनमें धनबाद, देवघर, चास नगर निगम और विश्रामपुर, झुमरी तिलैया, गोमिया, चक्रधरपुर नगर परिषद शामिल हैं. साथ ही कोडरमा, बड़की सरिया, धनवार, हरिहरगंज, बचरा और महगामा नगर पंचायत का कार्यकाल भी इसी दौरान समाप्त हुआ.
आगे की कार्रवाई:
हाईकोर्ट के निर्देश के अनुसार, भारत निर्वाचन आयोग को एक सप्ताह में संशोधित मतदाता सूची जारी करनी होगी. इसके बाद चार माह के भीतर चुनाव प्रक्रिया पूरी करने का वादा किया गया है. अदालत ने सरकार को आदेश दिया है कि वह किसी भी सूरत में चुनाव में देरी न करे और संवैधानिक प्रावधानों का पालन सुनिश्चित करे.