हाईकोर्ट के आदेश के बाद निगम की कार्रवाई तेज, 5 दिनों में सभी रूफटॉप बार-रेस्टोरेंट की होगी जांच…..

रांची में कई रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट नियमों का उल्लंघन कर संचालित हो रहे हैं. अधिकतर बार और रेस्टोरेंट बिना मान्यता प्राप्त नक्शे के चल रहे हैं, जहां नियमित रूप से महफिलें सजती हैं. लेकिन, अब ऐसे सभी भवनों पर कार्रवाई होने जा रही है. रांची नगर निगम के प्रशासक संदीप सिंह ने टाउन प्लानर को आदेश दिया है कि वे 5 दिनों के भीतर शहर के सभी रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट की जांच करें. इसके लिए सहायक टाउन प्लानर और इंजीनियरों की टीम गठित की गई है, जो इस काम को अंजाम देगी.

जांच की प्रक्रिया

टाउन प्लानर को निर्देश दिया गया है कि वे जांच के दौरान उन भवनों का निरीक्षण करें जहां रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट संचालित हो रहे हैं. यह देखा जाएगा कि ये भवन व्यवसायिक श्रेणी में आते हैं या आवासीय. अगर भवन व्यवसायिक श्रेणी में आता है, तो यह भी सुनिश्चित किया जाएगा कि उसका नक्शा व्यवसायिक श्रेणी में स्वीकृत है या नहीं. अगर यह आवासीय श्रेणी का है, तो उसके ऊपर जुर्माना लगाया जाएगा और व्यवसायिक नक्शे के तहत कर वसूला जाएगा. नगर निगम के राजस्व विभाग को यह जिम्मेदारी दी गई है कि वे उन सभी भवनों का होल्डिंग टैक्स कॉमर्शियल रेट के अनुसार वसूल करें, जिन पर रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट चलाए जा रहे हैं. यदि किसी भवन का टैक्स आवासीय दर पर लिया जा रहा है, तो उस पर जुर्माना लगाकर व्यवसायिक दर से वसूली की जाएगी.

हाईकोर्ट का आदेश और जांच रिपोर्ट

रांची हाईकोर्ट ने हाल ही में एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए शहर के कई इलाकों में बिना स्वीकृत नक्शे के चल रहे रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट को बंद करने का मौखिक निर्देश दिया था. इसके बाद से निगम की ओर से जांच तेज कर दी गई है. अपर प्रशासक को आदेश दिया गया है कि वे जांच की रिपोर्ट और होल्डिंग टैक्स की स्थिति की जानकारी हाईकोर्ट में पेश करें. प्रशासक को निर्देश दिया गया है कि वे प्रति शपथ पत्र दाखिल कर अदालत को स्थिति से अवगत कराएं.

बिल्डिंग बायलॉज में रूफटॉप बार-रेस्टोरेंट के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं

झारखंड बिल्डिंग बायलॉज-2016 में रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट संचालित करने के लिए कोई स्पष्ट नियम नहीं हैं. इसी वजह से आज तक नगर निगम ने एक भी रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट का नक्शा पास नहीं किया और न ही इसे संचालन के लिए एनओसी (अनापत्ति प्रमाण पत्र) जारी किया है. नगर निगम द्वारा सिर्फ व्यवसाय करने के लिए ट्रेड लाइसेंस जारी किया जाता है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं होता कि इमारत का नक्शा व्यवसायिक श्रेणी में स्वीकृत है. बायलॉज के मुताबिक, यदि किसी बिल्डिंग की छत पर 20% हिस्से में तिरपाल डालकर अस्थाई संरचना बनाई गई है, तो उसे आवासीय संरचना माना जाएगा. लेकिन अगर 20% से अधिक हिस्से पर स्थाई या अस्थाई संरचना बनाकर कोई व्यवसायिक गतिविधि चलाई जा रही है, तो बिल्डिंग का व्यवसायिक नक्शा स्वीकृत होना अनिवार्य है.

कोरोना के बाद रूफटॉप बार-रेस्टोरेंट का बढ़ा प्रचलन

कोरोना महामारी के बाद से रांची में रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट का चलन तेजी से बढ़ा है. महामारी के बाद लोग घरों से बाहर निकलकर परिवार के साथ खुले आसमान के नीचे संगीत और खाने-पीने का आनंद लेने लगे. इस प्रवृत्ति को देखते हुए शहर के विभिन्न हिस्सों में धड़ल्ले से रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट खोले गए. हरमू रोड, लालपुर, कांके रोड, अरगोड़ा-कडरू रोड, डोरंडा, और अन्य क्षेत्रों में कई रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट खोले गए, जिनमें से अधिकांश ने बिल्डिंग बायलॉज और नगर निगम के नियमों का पालन नहीं किया. इनमें से कई स्थानों पर पार्किंग की भी उचित व्यवस्था नहीं है, और ग्राहकों के वाहन सड़क पर ही खड़े होते हैं, जिससे यातायात की समस्या भी उत्पन्न होती है.

निगम की अनदेखी और जांच की जरूरत

नगर निगम के अधिकारियों और इंजीनियरों ने इस मुद्दे को लंबे समय तक अनदेखा किया. इन अधिकारियों ने कभी यह उचित नहीं समझा कि ऐसे व्यवसायिक गतिविधियों की जांच की जाए, जो बिना स्वीकृत नक्शे और उचित व्यवस्था के चल रही थीं. लेकिन हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब यह मामला निगम के ध्यान में आया है और जांच की प्रक्रिया शुरू की जा रही है.

निगम की कार्रवाई का असर

हाईकोर्ट के आदेश और निगम द्वारा जांच शुरू करने के बाद अब उन भवन मालिकों और व्यवसायियों पर शिकंजा कसा जा रहा है, जो बिना नक्शा स्वीकृति के रूफटॉप बार और रेस्टोरेंट चला रहे थे. निगम की टीम आने वाले पांच दिनों में जांच पूरी करेगी और इसके आधार पर संबंधित भवन मालिकों पर कार्रवाई की जाएगी. अगर जांच में पाया जाता है कि किसी भवन का नक्शा व्यवसायिक श्रेणी में स्वीकृत नहीं है, तो उस पर जुर्माना लगाकर व्यवसायिक दर से टैक्स वसूला जाएगा. साथ ही, यदि कोई भवन बायलॉज के नियमों का उल्लंघन करता पाया गया, तो उसका संचालन बंद करने की भी संभावना है. नगर निगम का यह कदम न केवल कानून के पालन को सुनिश्चित करने के लिए जरूरी है, बल्कि यह शहर की ट्रैफिक व्यवस्था और भवन नियमों के अनुपालन के लिए भी महत्वपूर्ण है.

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