झारखंड में महिलाओं और बच्चों के यौन उत्पीड़न के मामलों में बढ़ती घटनाओं पर हाईकोर्ट ने गंभीर रुख अपनाया है. राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के प्रयासों की समीक्षा के लिए, हाईकोर्ट ने गृह सचिव, डीजीपी, नगर विकास सचिव, रांची के डीसी, और नगर निगम प्रशासक को 18 सितंबर को कोर्ट में पेश होने का आदेश दिया है. हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद और जस्टिस एके राय की बेंच ने यह आदेश देते हुए कहा कि राज्य में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन अपराधों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है और सरकार को इस पर सख्त कदम उठाने की जरूरत है.
जनहित याचिका में उठाए गए गंभीर मुद्दे
यह मामला एडवोकेट भारती कौशल द्वारा दायर की गई जनहित याचिका पर आधारित है, जिसमें उन्होंने जनवरी से जून तक महिलाओं के खिलाफ दुर्व्यवहार, दुष्कर्म और छेड़छाड़ की घटनाओं में बढ़ोतरी की बात कही है. याचिका में बताया गया है कि इस अवधि के दौरान ऐसे 185 मामले दर्ज किए गए हैं, जिनमें महिलाओं और बच्चों के खिलाफ गंभीर अपराध शामिल हैं. याचिकाकर्ता ने स्कूल वैन और बसों में ड्राइवरों द्वारा बच्चों के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार पर भी चिंता जताई है. उन्होंने कहा कि स्कूल प्रबंधन ड्राइवरों का सत्यापन नहीं करता, जिससे ऐसी घटनाएं हो रही हैं. याचिकाकर्ता ने मांग की है कि बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए सख्त कदम उठाए जाने चाहिए.
हाईकोर्ट ने की राज्य सरकार की कार्यप्रणाली पर टिप्पणी
हाईकोर्ट ने रिम्स की लिफ्ट में महिला डॉक्टर के साथ हुई छेड़छाड़, जमशेदपुर में स्कूल वैन के ड्राइवर द्वारा तीन साल की बच्ची का यौन शोषण, और तमाड़ में ट्रक ड्राइवर द्वारा नाबालिग का अपहरण और दुष्कर्म के मामलों पर गहरी चिंता व्यक्त की है. कोर्ट ने राज्य सरकार से पूछा कि इतने प्रयासों के बाद भी महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न की घटनाएं क्यों नहीं रुक रही हैं. कोर्ट ने मौखिक टिप्पणी करते हुए कहा कि अगर महिलाएं और बच्चे सुरक्षित नहीं हैं, तो समाज में सुरक्षा की भावना कैसे विकसित होगी.
महिला और बच्चों की सुरक्षा पर कोर्ट की सख्त टिप्पणियां
हाईकोर्ट ने सरकार से यह भी पूछा कि स्कूल बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए क्या उपाय किए गए हैं. कोर्ट ने सुझाव दिया कि स्कूल बसों में कम से कम एक-दो स्टाफ सदस्य तैनात किए जाने चाहिए, ताकि बच्चों के साथ किसी भी प्रकार की अनुचित घटना को रोका जा सके. कोर्ट ने कहा कि महिलाएं जब काम करने के लिए घर से बाहर निकलती हैं, तो उन्हें सुरक्षित माहौल मिलना चाहिए. अगर महिलाएं सुरक्षित नहीं महसूस करेंगी, तो उनका बाहर काम करना मुश्किल हो जाएगा. कोर्ट ने राज्य सरकार को महिला और बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए तत्काल और प्रभावी कदम उठाने के निर्देश दिए.
कोर्ट की सख्ती के बाद सरकार पर बढ़ा दबाव
हाईकोर्ट की सख्ती के बाद झारखंड सरकार पर दबाव बढ़ गया है. गृह सचिव, नगर विकास सचिव, डीजीपी, रांची डीसी, और नगर निगम प्रशासक को 18 सितंबर को कोर्ट में उपस्थित होकर जवाब देना होगा कि राज्य में महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए अब तक क्या कदम उठाए गए हैं और आगे क्या योजनाएं बनाई जा रही हैं. सरकार को यह भी बताना होगा कि इन मामलों में अब तक कितनी सफलता मिली है और आगे इन घटनाओं को रोकने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जाएंगे.
स्कूल वैन और बसों में सुरक्षा के उपाय
हाईकोर्ट ने स्कूल वैन और बसों में बच्चों की सुरक्षा के लिए भी विशेष ध्यान देने की आवश्यकता पर बल दिया है. कोर्ट ने कहा कि बच्चों को स्कूल भेजते समय अभिभावकों को इस बात की चिंता नहीं होनी चाहिए कि उनके बच्चे सुरक्षित हैं या नहीं. कोर्ट ने स्कूल प्रबंधन को यह सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं कि बसों में एक-दो स्टाफ सदस्य अवश्य हों, जो बच्चों की देखभाल कर सकें. साथ ही, ड्राइवरों का सत्यापन भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए ताकि इस तरह की घटनाओं को रोका जा सके.
यौन उत्पीड़न के मामलों में सख्त कदम उठाने की आवश्यकता
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं कि महिलाओं और बच्चों के खिलाफ यौन उत्पीड़न के मामलों में कड़ी कार्रवाई की जाए. कोर्ट ने कहा कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के बिना किसी भी राज्य की तरक्की संभव नहीं है. सरकार को इन मामलों को बेहद गंभीरता से लेना होगा और तुरंत प्रभावी कदम उठाने होंगे. हाईकोर्ट की इस सख्ती के बाद राज्य में महिला और बच्चों की सुरक्षा को लेकर सरकार के प्रयासों की व्यापक समीक्षा की उम्मीद की जा रही है.