झारखंड: गोमिया में भारी बारिश से एक पिलर समेत बीचों-बीच ढहा पुल….

3 अगस्त की सुबह, गोमिया के सुदूरवर्ती क्षेत्र लालपनिया और डुमरी बिहार स्टेशन को जोड़ने वाला ठेठे घाट पुल भारी बारिश और तेज नदी के बहाव के कारण ढह गया. इस दुर्घटना में पुल का मध्य भाग और एक पिलर बह गया, जिससे लगभग दस गांव प्रभावित हुए हैं.

पुल का इतिहास और निर्माण में भ्रष्टाचार

स्थानीय निवासियों के अनुसार, यह पुल 2014 में बना था. इसके निर्माण में भारी भ्रष्टाचार हुआ था, जो इस हादसे का कारण बना. पुल के निर्माण के समय से ही इसकी गुणवत्ता पर सवाल उठाए जा रहे थे. स्थानीय लोगों का कहना है कि यदि निर्माण सही ढंग से हुआ होता, तो यह हादसा टल सकता था.

हादसे के समय की स्थिति

घटना के समय पुल पर तीन लोग मौजूद थे. इनमें से दो किसी तरह से अपनी जान बचाने में सफल रहे, लेकिन 55 वर्षीय किसान भोरी लाल प्रजापति बह गए. अब तक उनकी कोई खोज नहीं हो पाई है, जिससे उनके परिवार में शोक का माहौल है. स्थानीय प्रशासन और राहत कार्यों में जुटी टीमें उनकी खोज में लगी हुई हैं.

प्रभावित गांवों की स्थिति

पुल के ढहने से गोमिया और लालपनिया के बीच का मुख्य मार्ग अवरुद्ध हो गया है. इसके कारण लगभग दस गांवों के लोगों को काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. रोजमर्रा की जरूरतों के लिए लोगों को लंबे रास्ते तय करने पड़ रहे हैं. स्कूल, अस्पताल और बाजार जैसी जरूरी सेवाओं तक पहुंच में भी दिक्कतें आ रही हैं.

स्थानीय लोगों का गुस्सा और विरोध प्रदर्शन

इस हादसे से गुस्साए स्थानीय लोगों ने मुख्य मार्ग को जाम कर दिया, जिससे यातायात बाधित हो गया. उनकी मांग है कि जल्द से जल्द पुल का पुनर्निर्माण किया जाए और दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए. विरोध प्रदर्शन के दौरान लोग अपनी नाराजगी जताते हुए नारेबाजी कर रहे थे.

राजनीतिक प्रतिक्रिया

सूचना मिलते ही भाजपा के वरिष्ठ नेता देवनारायण प्रजापति मौके पर पहुंचे. उन्होंने कहा कि यदि पुल का निर्माण सही ढंग से हुआ होता, तो यह हादसा नहीं होता. देवनारायण प्रजापति ने कई अधिकारियों से बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी ने फोन नहीं उठाया और न ही पीड़ित परिवारों से मिलने के लिए कोई आया. उन्होंने निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता की कमी पर चिंता जताई और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए कड़े कदम उठाने की मांग की.

प्रशासन की प्रतिक्रिया

स्थानीय प्रशासन ने राहत और बचाव कार्यों में तेजी लाई है. अधिकारियों ने कहा है कि प्रभावित गांवों को आवश्यक सेवाएं पहुंचाने के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की जा रही है. पुल के पुनर्निर्माण के लिए भी योजनाएं बनाई जा रही हैं. प्रशासन ने आश्वासन दिया है कि दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए गुणवत्ता मानकों का सख्ती से पालन किया जाएगा.

भविष्य की चुनौतियाँ

यह घटना निर्माण कार्यों में गुणवत्ता और पारदर्शिता की कमी को उजागर करती है. प्रभावित समुदाय अब पुल के पुनर्निर्माण और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सुरक्षा मानकों के पालन की मांग कर रहे हैं. इस घटना ने ग्रामीण आबादी की सुरक्षा और आजीविका को सुरक्षित रखने के लिए उचित निर्माण प्रथाओं और निगरानी के महत्व को रेखांकित किया है. स्थानीय नेताओं और निवासियों ने अपने असंतोष को व्यक्त किया है और क्षेत्र में कनेक्टिविटी और सुरक्षा बहाल करने के उपायों की मांग की है. उन्होंने कहा है कि जब तक पुल का पुनर्निर्माण नहीं होता, तब तक उनकी परेशानियाँ खत्म नहीं होंगी. वे प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की उम्मीद कर रहे हैं ताकि उन्हें फिर से इस तरह की कठिनाइयों का सामना न करना पड़े.

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