झारखंड हाईकोर्ट ने सरकारी और निजी अस्पतालों में इलाज में लापरवाही को लेकर एक बार फिर सख्त टिप्पणी की है. हाईकोर्ट ने रिम्स (राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज) की कुव्यवस्था पर गंभीर चिंता जताई है. अदालत ने कहा है कि यदि रिम्स में सुविधाओं को सही नहीं किया गया तो इसे बंद कर देना ही बेहतर होगा. यह टिप्पणी एक मरीज के परिजन द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान की गई.
निजी अस्पताल में हुई मौत का मामला
मामला अक्टूबर 2017 का है, जब एक मरीज की एक निजी अस्पताल में इलाज के दौरान मृत्यु हो गई थी. मरीज के परिजन ने इसे लेकर शिकायत दर्ज कराई थी और इस पर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी. याचिका में कहा गया था कि इलाज में लापरवाही और सुविधाओं की कमी के कारण मरीज की जान गई.
रिम्स की हालत पर अदालत की चिंता
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए रिम्स की स्थिति पर कड़ा रुख अपनाया. कोर्ट ने कहा कि रिम्स में अक्सर लापरवाही के मामले सामने आते हैं और यहां की सुविधाओं की हालत बेहद खराब है. कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह इस मामले को गंभीरता से ले और रिम्स में सुधार के लिए ठोस कदम उठाए.
विशेषज्ञों की रिपोर्ट
सुनवाई के दौरान कोर्ट को विशेषज्ञों की रिपोर्ट भी प्रस्तुत की गई, जिसमें रिम्स की कुव्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दी गई थी. रिपोर्ट में बताया गया कि रिम्स में आधारभूत संरचना, उपकरण और स्टाफ की कमी है. इसके अलावा, स्वच्छता और अन्य सुविधाओं की स्थिति भी बेहद खराब है.
राज्य सरकार की जिम्मेदारी
कोर्ट ने राज्य सरकार से कहा कि वह तुरंत प्रभाव से रिम्स में सुधार के लिए कदम उठाए. सरकार को सुनिश्चित करना चाहिए कि रिम्स में सभी आवश्यक सुविधाएं उपलब्ध हों और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले. कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि राज्य सरकार रिम्स में सुधार करने में असमर्थ है, तो इसे बंद कर देना ही बेहतर होगा.
याचिकाकर्ता की दलीलें
याचिकाकर्ता ने अपनी दलीलों में कहा कि उनके पिता की मृत्यु अस्पताल की लापरवाही के कारण हुई थी. उन्होंने बताया कि अस्पताल में डॉक्टरों की कमी, उपकरणों की कमी और अन्य सुविधाओं की कमी के कारण उनके पिता को सही इलाज नहीं मिल पाया. उन्होंने कोर्ट से अनुरोध किया कि अस्पताल की कुव्यवस्था की जांच की जाए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए.
अदालत का फैसला
कोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य सरकार को सख्त निर्देश दिए हैं. कोर्ट ने कहा कि रिम्स में सुधार के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए जाएं और मरीजों को गुणवत्तापूर्ण इलाज मिले. अदालत ने राज्य सरकार को एक महीने का समय दिया है और कहा है कि यदि इस दौरान रिम्स में सुधार नहीं होता है, तो इसे बंद कर दिया जाएगा.
पारिवारिक डॉक्टर-परिजन में मारपीट मामला
अदालत ने रिम्स में मरीजों के परिजन और डॉक्टरों के बीच मारपीट के मामले पर भी गंभीरता से संज्ञान लिया है. अदालत ने कहा कि इस तरह की घटनाएं अस्पताल की कुव्यवस्था का परिणाम हैं और इन्हें रोकने के लिए तुरंत कदम उठाए जाने चाहिए.