झारखंड में आतंक मचा रहे हैं अमेरिकन कीड़े..

Jharkhand: झारखंड में कम बारिश होने के कारण झारखंड के किसान पूरी तरह से परेशान है वहीं दूसरी ओर खरीफ फसल पर संकट मंडरा रहा है,अमेरिकन कीड़ों के आतंक से सभी झारखंड के किसानों अपने फैसलों को लेकर बहुत परेशान है। अमेरिकन कीड़ों के आक्रमण से मक्के की फसल चौपट होने से किसानों पर दोहरी मार पड़ रही है। ये कीड़े घरों-मकानों में भी घुस जा रहे है। कई क्षेत्र ऐसे है, जहां इनके डर से लोग घरों के खिड़की-दरवाजे बंद रख रहे हैं। जंगलवर्ती इलाकों में रहने वाले लोग सबसे ज्यादा परेशान है।

अमेरिकी कीट का नाम है ‘स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा’…
इन कीड़ों ने मक्के की फसलों को व्यापक रुप से बहुत नुकसान पहुंचाया है। कृषि विशेषज्ञों के अनुसार इस अमेरिकी कीट का नाम ‘स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा’ है। यह कीट मक्के की पत्ती में छेद कर दे रहा है। 15-20 दिनों में ये पौधे को पूरी तरह चट कर जाते हैं। कीड़े कई जंगलवर्ती इलाकों में साल-सखुआ पेड़े के पत्तों को पूरी तरह खा गए हैं। ये पत्ते हजारों ग्रामीणों की जीविका का आधार हैं। ग्रामीण पत्तों से पत्तल-दोने बनाकर आजीविका चलाते हैं। रांची के ग्रामीण इलाकों, हजारीबाग, रामगढ़, कोडरमा, चतरा, पलामू, लातेहार, गढ़वा, धनबाद, गिरिडीह जिलों में अमेरिकी कीट किसानो तथा ग्रामीणो के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गया है

कीटनाशक का करे इस्तेमाल ….
कीड़ों आतंक व्यापक रूप से किसानों के लिए बड़ी समस्या के रूप में उभर रहा है कीड़े एक बार में पूरे के पूरे मक्के के खेत को बर्बाद कर दे रहे हैं जिससे बचने के लिए तथा कीड़ों के प्रकोप को देखते हुए मक्के की खेती करने वाले किसानों के कृषि विभाग ने एडवाइजरी जारी की है। उन्होंने तत्काल इस कीट से फसल को बचाने के लिए कीटनाशक का इस्तेमाल करने सहित अन्य उपायों को अपनाने की सलाह दी है।

पांच साल पहले हुई थी पुष्टि. ..
विशेषज्ञों के अनुसार पांच साल पहले 2018 में पहली बार कर्नाटक के चिकबल्लापुर जिले में मक्के की खेत में अमेरिकी कीट स्पोडोप्टेरा फुजीपर्डा को देखा गया था। इसके बाद उत्तर प्रदेश-बिहार में भी इसकी पुष्टि हुई। अब झारखंड के कई जिलों में इसके मौजूद होने का पता चला है।

कीड़े 24 घंटे में 100 किलोमीटर तक फैल सकता…
मक्के पर रिसर्च करने वाले वैज्ञानिकों का कहना है कि लगातार तापमान में हो रहे बदलाव का असर मक्का की फसलों पर ज्यादा पड़ रहा है। इस फॉल आर्मीवर्म कीट के कारण मक्का की फसल के तने को नुकसान पहुंचता है और पौधे में वृद्धि रुक जाती है। बेहद छोटा दिखने वाला यह कीड़ा 24 घंटे में 100 किलोमीटर तक फैल सकता है। समय रहते अगर इसका उपचार नहीं किया जाए, तो ये कीड़े मक्का के पौधों के पत्ते में छेद कर देते हैं। ऐसे में किसानों को सलाह दी जा रही है कि वह मक्के को बचाने के लिए क्लोरोपाइरीफॉस और साइपर मैथीन के घोल का स्प्रे जरूर करे।

मक्के के अलावा अन्य फसलों को भी हो रहा नुकसान..
यह विनाशकारी कीट मक्के के अलावा धान, बंदागोभी, चुकंदर, गन्ना, मूंगफली, सोयाबीन, प्याज, टमाटर और आलू की फसल को भी नुकसान पहुंचाता है। कीड़े झुंड में पूरी फसल को एक बार में बर्बाद कर दे रहे है। फसलों का इतना बड़ा नुकसान किसानों के लिए बहुत बड़ी समस्या बन गया है। किसान जीजान लगाकर फसल को तैयार करते है इस बीच कीड़ों का आतंक किसानों को डरने पर मजबूर कर रहे है।

×