रांची : हजारीबाग के बड़कागांव हिंसा मामले में रांची के होटवार जेल में बंद पूर्व मंत्री योगेंद्र साव रविवार को बाहर निकले। पूर्व मंत्री योगेंद्र साव को झारखंड हाई कोर्ट से जमानत मिली थी। हाईकोर्ट के जस्टिस आर मुखोपाध्याय व जस्टिस अंबुजनाथ की खंडपीठ ने योगेंद्र साव की जमानत की सुविधा प्रदान की थी। जेल से बाहर आने पर उनके स्वागत के लिए उनकी बेटी बड़कागांव की विधायक अंबा प्रसाद और कांग्रेस विधायक जयमंगल सिंह उर्फ अनूप सिंह समेत अन्य समर्थक मौजूद थे। हालांकि अभी उनकी पत्नी और पूर्व विधायक निर्मला देवी जेल से बाहर नहीं आ सकी है।
योगेंद्र साव ने जेल से बाहर आने पर अदालत के प्रति आभार व्यक्त करते हुए कहा कि उन्हें न्यायिक प्रक्रिया पर पूरा भरोसा है। उन्होंने बताया कि कांग्रेस की ओर से लाये गये भूमि अधिग्रहण कानून 2013 को पूर्ववर्ती रघुवर दास सरकार में बदलने की कोशिश की गयी थी। इसके खिलाफ हजारीबाग में आंदोलन हुआ था। जनता के हक और अधिकार के लिए हुए आंदोलन से रघुवर दास सरकार बौखला गयी थी, जिसके कारण एक ही मामले को अलग-अलग भागों में बांट कर उनपर 10-10 झूठे मुकदमे करवा दिये गये। उन्होंने कहा कि उनकी पत्नी और पूर्व विधायक निर्मला देवी भी जल्द ही जेल से बाहर आ जाएंगी।
क्या है पूरा मामला
हजारीबाग के बड़कागांव क्षेत्र एनटीपीसी की ओर से किये जा रहे जमीन अधिग्रहण के विरोध में कफन सत्याग्रह किया गया था। यह आंदोलन पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और पूर्व विधायक निर्मला देवी ने स्थानीय ग्रामीणों के साथ मिलकर एनटीपीसी के खिलाफ चलाया था। मामले में वर्ष 2015 में बड़कागांव में गोली चली थी, जिसमें दो लोगों की मौत हो गयी। इस मामले में योगेंद्र साव पर दो दर्जन से अधिक मामले दर्ज किये गये थे, जिसमें 11 मामलों में वे बरी हो चुके है, दो मामले में सजा हुई है। इससे पहले भी एक मामले में योगेंद्र साव और उनकी पत्नी निर्मला देवी को 10-10 वर्ष की सजा सुनायी गयी है। जबकि दूसरे मामले में निचली अदालत ने छह-छह महीने की सजा सुनायी है। इन मामलों में चार साल से अधिक समय तक योगेंद्र साव जेल में रहे। बीच में उन्हें झारखंड से बाहर रहने की शर्त पर जमानत मिली थी, लेकिन वर्ष 2019 में शर्ताें का उल्लंघन करने पर उनकी जमानत रद्द कर दी गयी थी। इसके बाद अब लगभग तीन साल (42 महीने) बाद योगेंद्र साव जेल से बाहर आ रहे हैं। वहीं इन मुकदमों की वजह से वे 7 साल से अपने विधानसभा क्षेत्र से दूर रहे। इस बीच वर्ष 2019 में उनकी बेटी अंबा प्रसाद चुनाव जीत कर आयीं।