झारखंड-बिहार से 2000 के करीब 86 हजार करोड़ नोट गायब हो चुके है. अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या आरबीआई ने इन्हें छापना बंद कर दिया या किसी बड़े भ्रष्टाचारियों की तिजोरियों की शोभा बन गए ये नोट. बड़ी बात यह है कि ये नोट है जिसकी तलाश या छापेमारी से हो सकती है या नोटबंदी के जरिए. दोनों राज्यों में ये नोट न तो बैंक पहुंच रहे न दुकानदारों के पास.
एक रिपोर्ट की मानें तो करीब 96 फीसदी 2000 की करेंसी या बिहार-झारखंड से बाहर जा चुकी है या कालाधन का रूप ले चुकी है. हाल के दिनों में आपने देखा ही होगा, झारखंड, बिहार और बंगाल के भ्रष्टाचारियों के तहखानों से थोक के भाव में 2000 के नोट निकल रहे हैं.
रिपोर्ट के अनुसार मार्च 2022 तक देशभर में 2 रुपए से 2000 रुपए तक के 13,05,326 नोट चलन में थे. इनकी कुल वैल्यू करीब 31,05,721 करोड़ रुपए है. जिसमें केवल 2000 रुपए के नोट की वैल्यू 4,28,394 करोड़ थी. अर्थात महज 13.8 प्रतिशत. रिपोर्ट के अनुसार पिछले तीन वर्षों में 10 प्रतिशत इन नोटों के चलन में कमी आ गयी है. हालांकि, 2019 के बाद आरबीआई ने भी इन नोटों को छापना बंद कर दिया था. आपको बता दें कि 2016 में हुई नोटबंदी के बाद 1000 के नोटों को बंद करके सरकार ने 2000 के नोट मार्के में लाए थे.
उप मुख्यमंत्री सह वित्त मंत्री तारकिशोर प्रसाद की मानें तो 2000 रुपए के नोट को कब मार्केट में लाना है कब हटाना केंद्र सरकार इसे लेकर निर्णय लेती है. केंद्र सरकार नोट को लेकर निर्णय लेती है. फिलहाल, इससे आम लोगों को दिक्कत नहीं हो रही है. जबकी, 2000 का नोटों को लेकर पूर्व डिप्टी सीएम, सुशील मोदी ने कहा- बड़े नोट रखना आसान है. यह ब्लैक मनी को बढ़ावा देती है. दुनिया के बड़े अर्थव्यवस्था वाले देशों में बड़े नोटों नहीं चलते. आपके जानकारी के लिए- डॉलर का सबसे बड़ा नोट 100 का ही है.