जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर रांची के डीसी पर लगा 50 हजार रुपये का जुर्माना..

रांची: झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस एस चंद्रशेखर और जस्टिस रत्नाकर भेंगरा की अदालत में बड़ा घाघरा में अपोलो चेन्नई अस्पताल को जमीन देने के विवाद को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज मामले में सोमवार को सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान अदालत ने रांची उपायुक्त छवि रंजन की ओर से जवाब दाखिल नहीं किए जाने पर कड़ी नाराजगी जताई। इसके बाद उनपर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। अदालत ने जुर्माने की राशि हाई कोर्ट विधिक सेवा प्राधिकार में जमा करने का निर्देश दिया है। उक्त राशि की जमा रसीद की छाया प्रति के साथ ही उपायुक्त की ओर से कोर्ट में जवाब दाखिल किया जा सकेगा। मामले में अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद होगी।

घर तोड़े जाने पर लिया था स्वत: संज्ञान..
अदालत ने नगर निगम की ओर से कई घरों को तोड़े जाने पर स्वत: संज्ञान लेते हुए पूर्व में रांची नगर निगम के अपर नगर आयुक्त को नोटिस जारी किया था। उनसे पूछा था कि क्यों नहीं आपके खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू करने का निर्देश दिया जाए। लेकिन निगम की ओर से अदालत में समय देने का आग्रह करते हुए आइए याचिका दाखिल की गई थी। रांची उपायुक्त की ओर से न तो कोई जवाब दाखिल किया गया और न ही समय देने के लिए आइए याचिका दाखिल की गई थी। इस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए उपायुक्त पर पचास हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

इस तरह यह मामला पहुंचा था अदालत..
बता दें कि रांची के बड़ा घाघरा में 2.83 एकड़ जमीन अस्पताल बनाने के लिए रांची नगर निगम और अपोलो चेन्नई के बीच वर्ष 2018 में एग्रीमेंट हुआ था। इसमें स्थानीय लोगों के लिए 50 प्रतिशत बेड आरक्षित रखने की शर्त पर एक रुपये में जमीन दी गई है। दिसंबर 2021 में निगम ने उक्त जमीन खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था। एकल पीठ ने उक्त जमीन नगर निगम की मानते हुए प्रार्थियों के दावे को खारिज कर दिया था। इसके बाद मामला खंडपीठ में पहुंचा था। अदालत ने जांच के लिए तीन सदस्यीय अधिवक्ताओं की एक प्लीडर कमिश्नर की नियुक्त की थी। उनकी जांच रिपोर्ट पर अदालत ने कहा था कि रामनवमी के अगले दिन ही नगर निगम को ऐसी कार्रवाई करने की हड़बड़ी क्यों थी। इसके बाद कोर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया है। इस मामले में उपायुक्त को भी प्रतिवादी बनाते हुए उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था।