झारखंड राज्य के स्थानीय उम्मीदवारों का नियोजन विधेयक-2021 विधानसभा में पास नहीं हो सका। निजी क्षेत्रों में स्थानीय युवाओं को 75 फीसद आरक्षण देने के लिए ये विधेयक तैयार किया गया था। जिसे लागू करने के लिए मंगलवार को सदन में पेश किया गया था। विपक्ष व सत्ता पक्ष के कई विधायकों ने इस विधेयक में कई बिंदुओं पर संशोधन के पक्ष में बहुमत दिखाई। कहा गया कि राज्य सरकार का ये विधेयक राज्य हित में है, लेकिन इसमें कई बिंदुओं पर संशोधन इसलिए जरूरी है, ताकि कंपनियां कहीं से भी मुकरने की स्थिति में न रहें।
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सदन में कहा कि ये विधेयक स्थानीय लोगों से संबंधित है। पक्ष व विपक्ष ने करीब 22-23 बिंदुओं पर संशोधन की मांग की है, इसलिए ये विधेयक प्रवर समिति को भेजा जाएगा, ताकि कोई भी कमी न रह जाए। इस विधेयक में विधायक प्रदीप यादव ने कंपनी अधिनियम 1956 को जोड़ने पर जोर दिया था, ताकि कोई भी कंपनी राज्य के स्थानीय उम्मीदवार को छोड़ने न पाए।
नौकरियों में जाति भेद व तकनीकी व गैर तकनीकी का तर्क देकर नौकरी नहीं देने का बहाना नहीं बना सके।
विधायक अमित मंडल ने विधेयक में कंपनियों की प्रकृति लिखने का भी जिक्र किया कि वो लिमिटेड, प्राइवेट लिमिटेड कंपनी है या नहीं। विधायक अमर कुमार बाउरी ने इस विधेयक को राइट टू एजुकेशन की तरह नहीं बनाने का आग्रह किया था। इसके बाद ही मुख्यमंत्री ने प्रवर समिति को भेजने की अनुशंसा की।