ओमिक्रोन वैरिएंट से प्रभावित देश से 24 नवम्बर के बाद ओडिशा में 800 से अधिक लोग वापस आए हैं। इसमें से 246 के नमूने पाजिटिव पाए गए हैं। इनमें से किसी व्यक्ति में ओमिक्रोन वैरिएंट है या नहीं वह फिलहाल स्पष्ट नहीं हुआ है। इसके लिए 246 लोगों के नमूने को जीनोम सीक्वेंसिंग के लिए भुवनेश्वर आईएलएस में भेजा गया है। यह जानकारी भुवनेश्वर आईएलएस निदेशक अजय परिड़ा ने दी है। यहां उल्लेखनीय है कि पड़ोसी राज्य ओडिशा में कोरोना पाजिटिव पाए जाने के बाद झारखंड की भी चिंंता बढ़ा दी है। यहां भी इस समय विदेश से 127 लोग लौटे हैं। इन सभी की पहचान की कवायद जारी है। ये यात्री जोखिम वाले देशों से लौटे हैं। झारखंड की परेशानी यह है कि यहां जीनोम सिक्वेंसिंंग की सुविधा नहीं है। झारखंड का स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह से पड़ोसी राज्य ओडिशा पर ही जांच के लिए निर्भर है। यहां से नमूने जांच के लिए ओडिशा की राजधानी भुवनेश्वर भेजे जाते हैं। वहां से जांच रिपोर्ट काफी विलंब से आती है। समय पर कोरोना के इस नए वैरिएंट ओमिक्रोन की पहचान नहीं होने से संक्रमण काफी तेजी से बढ़ सकता है।
हालांकि, झारखंड सरकार ने राजधानी रांची स्थित राजेंद्र आयुर्विज्ञान संस्थान में जीनोम सिक्वेंसिंंग मशीन मशीन लगाने की मंजूरी दी है। एसडीआरएफ मद से यह मशीन खरीदी जाएगी। लेकिन इस दिशा में अभी बुनियादी पहल भी शुरू नहीं हुई है। इसके लिए अबतक टेंडर प्रक्रिया ही शुरू नहीं हुई है। उधर, झारखंड सरकार ने सभी डीसी को ओमिक्रोन से बचाव के लिए सभी जरूरी तैयारियां रखने का निर्देश दिया है। इनमें आवश्यकता के अनुसार बेड, दवा, आक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित करना आदि शामिल है। कोरोना की संभावित तीसरी लहर को लेकर अगस्त में जारी दिशा-निर्देश का अनुपालन करने को कहा गया है।
झारखंड में 72 पीएसए प्लांट तैयार, 20 अभी भी लंबित
मालूम हो कि झारखंड में 72 अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों में पीएसए प्लांट स्थापित हो चुका है। इनमें से 38 पीएम केयर फंड तथा 34 राज्य फंड से लगाए गए हैं। झारखंड के 20 स्वास्थ्य केंद्रों में यह अभी भी नहीं लगा है। यह चिंंता की बात है। हालांकि जिन अस्पतालों में पीएसए प्लांट लग चुके हैं, वहां यह भी देखना महत्वपूर्ण है कि कितने में प्लांट मेनीफोल्ड से जोड़े जा चुके हैं तथा बेड तक आक्सीजन की आपूर्ति शुरू हो चुकी है। आक्सीजन की उपलब्धता को लेकर निजी अस्पताल अभी भी लापरवाह हैं। राज्य सरकार ने 50 या इससे अधिक बेड वाले सभी निजी अस्पतालों को अनिवार्य रूप से पीएसए प्लांट लगाने के निर्देश दिए थे। इन निर्देश का अनुपालन अधिसंख्य निजी अस्पतालों ने अभी तक नहीं किया है।