रांची: प्रकृति पर्व सरहुल को लेकर जहां आदिवासी समुदाय तैयारियों में जुटा हुआ है, वहीं डोरंडा-सिरमटोली फ्लाईओवर के रैंप को लेकर चला आ रहा विवाद सुलझने की ओर बढ़ रहा है। सरकार और जिला प्रशासन ने इस मामले में बीच का रास्ता निकालते हुए फ्लाईओवर रैंप को हटाने का काम शुरू कर दिया है।
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फ्लाईओवर निर्माण कार्य में लगी कंपनी एलएंडटी के मजदूर रैंप को हटाने में लगे हुए हैं, जिससे सरहुल से पहले सिरमटोली स्थित सरना स्थल के मुख्य द्वार के सामने चौड़ी सड़क उपलब्ध हो सके। इस कार्य की निगरानी कर रहे बीरेंद्र सिंह ने जानकारी दी कि सरहुल से पहले आधे रैंप को हटा दिया जाएगा, जिससे श्रद्धालुओं को किसी प्रकार की असुविधा न हो।
सरना स्थल तक पहुंचने में अब नहीं होगी दिक्कत
झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय प्रवक्ता मनोज पांडेय ने इस विवाद के जल्द सुलझने की उम्मीद जताई। उन्होंने कहा कि राज्य में हेमंत सोरेन के नेतृत्व में सरकार संवाद और सद्भाव के माध्यम से समस्याओं का समाधान निकालने में विश्वास रखती है। उन्होंने पूर्ववर्ती सरकार पर कटाक्ष करते हुए कहा कि हम पिछली सरकार की तरह नहीं हैं, जिसने पत्थरगढ़ी मामले में हजारों लोगों पर मुकदमे किए थे।
केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष अजय तिर्की ने भी इस मामले के जल्द सुलझने की संभावना व्यक्त की। उन्होंने बताया कि फ्लाईओवर निर्माण लगभग पूरा हो चुका है, और सरना स्थल के मुख्य द्वार तक चौड़ी सड़क बनाने के लिए निजी भूमि मालिकों से जमीन खरीदने का सुझाव दिया गया है। इस संबंध में 50 प्रतिशत से अधिक सहमति बन चुकी है।
आदिवासी संगठनों की नाराजगी के बाद हुआ निर्णय
रांची में यातायात को सुगम बनाने के लिए डोरंडा से सिरमटोली तक फ्लाईओवर का निर्माण किया जा रहा है। लेकिन इस फ्लाईओवर का एक रैंप ऐतिहासिक सरना स्थल के मुख्य द्वार के सामने उतर रहा था, जिससे सड़क संकरी हो गई थी। इस कारण सरहुल के दौरान जुलूस में शामिल श्रद्धालुओं को परेशानी का सामना करना पड़ता।
इसी को लेकर आदिवासी संगठनों ने विरोध प्रदर्शन, मानव श्रृंखला और रांची बंद का आयोजन किया था। उनकी मांगों को देखते हुए प्रशासन ने सरना स्थल के मुख्य द्वार तक रैंप हटाने का निर्णय लिया और अब यह कार्य तेजी से किया जा रहा है।