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एलोवरा की खेती के जरिए आत्मनिर्भरता का मार्ग तैयार कर रहीं हैं नगड़ी की महिलाएं..

रांची के नगड़ी प्रखंड स्थित देवरी गांव इन दिनों काफी चर्चा में है। इस गाँव के चर्चा में होने का कारण है यहाँ हर दूसरे घर में एलोवेरा की खेती बड़े पैमाने पर हो रही है। जिसकी वजह से ये गाँव “एलोवेरा विलेज” के नाम से जाना जाने लगा है। मुख्य रूप से इस गाँव की महिलाएं एलोवेरा की खेती में लगी है। जिसके जरिए इस गाँव की महिलाएं आर्थिक तौर पर स्वावलंबित हो रही है। मंजू कच्छप, मुन्नी दीदी, रेणु समेत दर्जनों महिलाएं एलोवेरा की खेती कर अपने लिए आत्मनिर्भरता का मार्ग भी प्रशस्त कर रहीं है।

एलोवेरा की खेती के सफल होने पर मंजू कहतीं हैं, एलोवेरा ने पूरे राज्य में हमारे गांव का मान बढ़ाया है। अब हम पूरी मेहनत से राष्ट्रीय स्तर पर अपने गांव का नाम रोशन करेंगे।

बीएयू के नेतृत्व में इस एलोवेरा विलेज को बनाया गया था। लगभग दो वर्ष पहले बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के तहत संचालित आइसीएआर-टीएसपी औषधीय पौध परियोजना के तहत डॉ। कौशल कुमार के मार्गदर्शन में गांव में एलोवेरा विलेज स्थापित करने की पहल की गई थी।

यहाँ की महिलाएं इस विलेज में उगाए गए एलोवेरा को 35 रु किलो के हिसाब से बेच रहीं है। वहीं एलोवेरा के उपयोग के चलन से बाजार में जितनी इसकी मांग है, उस अनुरूप न तो उत्पादन हो पा रहा है और न ही आपूर्ति। बाजार में एलोवेरा की बढ़ती मांग को देखकर आसपास के ग्रामीण भी इसकी खेती में रुचि लेकर लाभ ले रहे हैं। महिलाओं का कहना है कि अगर सरकार हमें जेल निकालने की मशीन मुहैया कराती है तो हम पत्तों के साथ-साथ जेल भी तैयार करेंगे। इसके लिए उत्पादक समूह बनाने की कार्ययोजना है।

महिलाओं ने बताया कि बहुत कम निवेश के साथ एलोवेरा की खेती शुरू की जा सकती है। लागत काम लगने के कारण इस खेती से अधिक से अधिक लाभ कमाया जा सकता है। एलोवेरा पौधा को तैयार होने में करीब 18 माह का समय लगता है। एक–एक पत्तियों का वजन औसतन आधा किलो के करीब होता है। वहीं एक पौधा से ही दूसरा पौधा तैयार हो जाता है, जिसे अन्य खेतों में लगाया जाता है। इससे इसकी खेती में अधिक निवेश की जरूरत नहीं होती है। निवेश किसानों के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती होती है। ऐसे में अगर कम लागत के साथ ज्यादा मुनाफा कमाया जा सकता है तो किसान को और क्या चाहिए। इसलिए गांव के किसानों ने एलोवेरा की खेती को अपना लिया है, जिसका सुखद परिणाम कुछ ही माह में देखने को मिल जाएगा। इससे हमारे गाँव को नाम और दाम दोनों मिल रहें हैं। राज्य सरकार का साथ यूं ही मिलता रहा तो महिलाएं बड़े पैमाने पर एलोवेरा की खेती करने के लिए तैयार हैं।