झारखंड में हरतालिका तीज आज हर्षोल्लास एवं भक्तिमय माहौल में मनाया गया। तीज को लेकर सुहागिन महिलाओं के बीच सुबह से उत्साह का माहौल बना रहा। सुहागिन महिलाएं सज धज कर इस पूजा में शामिल हुई और पूजा-अर्चना कर अपने पति के दीर्घायु की कामना की। सुहागिन महिलाएं मंदिरों में पूजा-अर्चना के लिए पहुंची थी। इस दौरान पूजा-अर्चना के बाद कथा सुनी। कई घरों में भी महिलाएं पूजा-अर्चना कर शाम को कथा सुनी। इस दौरान महिलाएं निर्जला व्रत कर भगवान शिव एवं माता पार्वती की आराधना की। तीज को लेकर राज्य भर में भक्ति का माहौल बना रहा।
बता दें की हरतालिका तीज का व्रत को हरतालिका तीज या तीजा भी कहते हैं। यह व्रत भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को हस्त नक्षत्र के दिन किया जाता है। इस दिन कुमारी और सौभाग्यवती स्त्रियां भगवान गौरी-शंकर की पूजा करती हैं। वहीं इस व्रत में पूरे दिन निर्जला व्रत किया जाता है और अगले दिन पूजन के पश्चात ही व्रत तोड़ा जाता है। इस व्रत से जुड़ी एक मान्यता यह है कि इस व्रत को करने वाली स्त्रियां पार्वती जी के समान ही सुखपूर्वक पतिरमण करके शिवलोक को जाती हैं।
सौभाग्यवती स्त्रियां अपने सुहाग को अखंड बनाए रखने और अविवाहित युवतियां मन मुताबिक वर पाने के लिए हरितालिका तीज का व्रत करती हैं। इस दिन विशेष रूप से भगवान गौरीशंकर का ही पूजन किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाली स्त्रियां सूर्योदय से पूर्व उठ कर नहा धोकर पूरा श्रृंगार करती हैं। पूजन के लिए केले के पत्तों से मंडप बनाकर भगवान गौरी शंकर की प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाती है। इसके साथ पार्वती जी को सुहाग का सारा सामान चढ़ाया जाता है। रात में भजन, कीर्तन के साथ शिव पार्वती विवाह की कथा सुनी जाती है।