क्या ठहर गया है रेल रोको आंदोलन, इससे भी बड़ा होगा रेल टेका..

Jharkhand: अनुसूचित जनजाति (एसटी) का दर्जा देने की मांग पर झारखंड और ओडिशा में छह जगहों पर कुड़मी समाज ने रेल रोको आंदोलन खेड़ा था। कुड़मी समाज के आंदोलन से रेल व्यवस्था बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रही थी। जिसे की बहुत सारी ट्रेनों को रद्द करना पड़ा। कई ट्रेनों को डायवर्ट किया गया और कुछ ट्रेनों को शॉर्ट टर्मिनेट करना पड़ा। इस दौरान रेल यात्रियों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा था। इतनी मुसीबत झेलने के बाद बहुत मशक्कत से आंदोलनकारियों के साथ एडीएम लॉ एंड ऑर्डर ने दो घंटे तक वार्ता की। की गई वार्ता से कुड़मी आंदोलन रोकने में कुछ सहायता मिली।

25 सितंबर को होगी वार्ता….
वार्ता समाप्त होते ही अजित महतो ने रेल ट्रैक पर बैठे अपने समर्थकों और मीडियाकर्मियों को संबोधित वार्ता में हुए बातों को उजागर करते हुए झारखंड के मुख्य सचिव और टीआरआई के निदेशक के साथ 25 सितंबर को रांची में होने वाले वार्ता के विषय में सबको सूचना दी होगी। अगर उनकी मांगों पर इस बैठक में सकारात्मक फैसला नहीं हुआ, तो वे एक बार फिर इससे भी बड़ा आंदोलन करेंगे। कुर्मी समाज के द्वारा 20 सितंबर को झारखंड और ओडिशा में छह जगहों पर रेल का चक्का जाम किया गया था। झारखंड में मुरी, गोमो, नीमडीह और घाघरा के अलावा ओडिशा के खेमाशुली और भोजपुरा में रेल का चक्का जाम किया गया था। जिस में से नीमडीह और घाघरा में अभी भी आंदोलन जारी है।

आंदोलन से पहले किया गया था प्रयास….
अजित महतो ने बताया कि आंदोलन करने से पहले हमने अपनी मांगों को लेकर प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, आदिवासी मामलों के मंत्री, केंद्रीय गृह मंत्रालय, मुख्य न्यायाधीश, राज्यों के मुख्य सचिव और मुख्यमंत्रियों को पत्र लिखा और जब हमारी मांगों पर कोई विचार नहीं हुआ, तब हम विवश होकर अपनी मांगों को लेकर रेल ट्रैक पर उतरे है।

नहीं मिला अधिकार तो फिर से होगा आंदोलन….
उन्होंने आंदोलन कर रहे लोगों से कहा कि कुर्मी समाज के अधिकार के लिए आप लोग काफी देर से यहां डटे हुए है। आंदोलन में सहयोग करने के लिए कई लोग कल ही यहां आ गए होंगे, कई लोग सुबह से भूखे-प्यासे डटे है। उन सबको धन्यवाद। महतो ने कहा कि अगर 25 सितंबर को हमारी मांगों पर सकारात्मक विचार नहीं हुआ, जब तक हमें आदिवासियों का दर्जा नहीं मिलता है और हमारी भाषा कुड़माली को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल नहीं किया जाता है। तो हम फिर से और इससे भी बड़ा आंदोलन खड़ा करेंगे।

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