संघ लोक सेवा आयोग ने सिविल सेवा परीक्षा का अंतिम परिणाम सोमवार को जारी कर दिया है। झारखंड के कई जिलों के छात्र भी इस परीक्षा में सफल हुए हैं। उनके घर जश्न का माहौल है। सफलता का परचम लहराने वाले कई छात्रों की पारिवारिक पृष्ठभूमि बेहद सामान्य रही है। इन्होंने अपनी सफलता से साबित कर दिया है कि कड़ी मेहनत के आगे सबकुछ फीका है। इनमें पलामू के कुमार सौरव की कहानी भी अभाव में रहने वालों के लिए प्रेरणादायक है। पिता दिलीप पांडेय दिल्ली के एक दुकान में काम करते थे। साल 2011 में पिता की मौत के बाद कुमार सौरव अपनी मां किरण देवी और बड़ी बहन साक्षी पांडेय के साथ दिल्ली से अपने गांव पलामू जिले के पांडू प्रखंड के पांडू लौट गए। इसके बाद हिम्मत नहीं हारी। गांव में रहकर पढ़ाई जारी रखी। बहन का साथ मिला तो मैट्रिक और इंटर के बाद स्नातक की पढ़ाई के लिए फिर दिल्ली का रूख किया। स्नातक करने के बाद यूपीएससी की तैयारी शुरू की। और पहले ही प्रयास में सफलता का परचम लहरा दिया। 24 वर्षीय कुमार सौरव ने 357 वां स्थान हासिल किया है। अब कुमार सौरव भारतीय राजस्व सेवा के अधिकारी बनेंगे।
वहीं लातेहार शहर के बानुपर निवासी एवं चूड़ी दुकान चलाने वाले निरजंन अग्रवाल के द्वितीय पुत्र मनीष कुमार ने अपनी मेहनत से यूपीएससी की परीक्षा पास की है। मनीष ने देश में यूपीएससी की परीक्षा में 246वां रैंक प्राप्त किया है। मनीष ने अपनी इस सफलता का श्रेय अपने माता-पिता एवं गुरुजनों को दिया है। रांची के मुकेश कुमार गुप्ता को सिविल सेवा परीक्षा में 499वां रैंक हासिल हुआ है। इसी तरह झारखंड के गिरिडीह के रहनेवाले रवि कुमार ने सिविल सेवा परीक्षा में 38वां स्थान हासिल किया है।
देवघर के उत्सव आनंद को 26वां रैंक मिला, वहीं विलियम्स टाउन के आयुष बैंकट ने 74वां रैंक प्राप्त किया। साथ ही चांदनी चौके के समीप रहने वाले चिरंजीव आनंद ने 126वां रैंक प्राप्त किया। यूपीएससी के सिविल सेवा परीक्षा में जमशेदपुर की श्रुति राज लक्ष्मी सफल हुई है। श्रुति को 25वां रैंक मिला है। श्रुति लोयोला में पढ़ी-लिखी है। श्रुति शर्मा समेत झारखंड की चार बेटियां इस परीक्षा में टापर बनी हैं। इनमें गढ़वा जिले के गढ़वा प्रखंड के हूर गांव निवासी विपिन कुमार चौबे की पुत्री नम्रता चौबे संघ लोक सेवा आयोग की सिविल सेवा परीक्षा पास करने में सफल रही। नम्रता को 73 रैंक मिला है। उनके पिता मध्य विद्यालय परिहारा गढ़वा में सरकारी शिक्षक के पद पर कार्यरत हैं। अभी नम्रता दिल्ली में है। स्वजन के अनुसार वह अगले सोमवार को गढ़वा आएगी। रामगढ़ जिले की रहने वाली दिव्या पांडे को यूपीएससी में पहले ही प्रयास में सफलता मिल गई है। उन्हें 323वां रैंक प्राप्त हुआ है। उनकी प्रारंभिक पढ़ाई डीएवी रजरप्पा से हुई है। उन्होंने रांची वीमेंस कालेज से एमबीए किया है।
लोहरदगा के राकेश उरांव भी यूपीएससी परीक्षा में सफल रहे हैं। इनके पिता सेवानिवृत्त बैंक कर्मचारी हैं। मां चुन्नीलाल उच्च विद्यालय में शिक्षिका हैं। वर्तमान में राकेश उरांव ट्राइबल इंस्टिट्यूट रांची में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर कार्यरत हैं। पांचवी जेपीएससी में सफलता पाने के बाद वर्तमान में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर काम कर रहे हैं। जेपीएससी में सफलता के बाद भी यूपीएससी की तैयारी जारी रखी थी। पिछली बार भी इंटरव्यू तक पहुंचे थे। गुमला जिले के घाघरा प्रखंड मुख्यालय के अंकित बड़ाईक ने भी यूपीएससी पास किया है। अंकित बड़ाईक स्वर्गीय डाक्टर संजीवन बड़ाईक के सबसे छोटे पुत्र हैं। यूपीएससी परीक्षा में उन्होंने 667 रैंक प्राप्त किया है।