झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक पर सदन में चल रहा हंगामा..

Jharkhand:झारखंड विधानसभा के मानसून सत्र का आज आखिरी दिन है। गुरुवार को पास हुए झारखंड प्रतियोगिता परीक्षा विधेयक पर हंगामा जारी है। सड़क से सदन तक सत्तापक्ष और विपक्ष में रार छिड़ी है। बीजेपी विधायकों ने शुक्रवार को सदन के भीतर परीक्षा बिल को वापस लिए जाने की मांग को लेकर जमकर हंगामा किया। इससे पहले बीजेपी विधायकों का एक प्रतिनिधिमंडल, प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में राजभवन जाकर राज्यपाल स मिला । बाबूलाल मरांडी ने इस मुलाकात को लेकर ट्वीट किया और परीक्षा बिल को नकल विधेयक कहते हुए उसकी निंदा की। कहा कि यह काला कानून है जिसके जरिए सरकार अपने विरुद्ध उठने वाली हर आवाज को दबाएगी। छात्रों को इसकी आड़ में कुचला जाएघा ।

करोड़ों रुपये के जुर्माने का है प्रावधान….
विधानसभा परिसर में मीडियाकर्मियों से मुखातिब बाबूलाल मरांडी ने कहा कि यदि सरकार गलत करेगी तो इसका विरोध होगा। बीजेपी हर विवादित कानून का विरोध करेगी। उन्होंने कहा कि गुरुवार को ही हमने कहा था कि इस बिल को ऐसे पास मत कीजिए। इसे समीक्षा के लिए प्रवर समिति के पास भेजिए लेकिन सरकार ने हमारी बात को अनसुना कर दिया। उन्होंने कहा कि इसमें करोड़ों रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है जो न्यायसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि सरकार दावा करती है कि इस विधेयक के कानून बनने से कदाचार रूकेगा लेकिन सच यह है कि इससे कदाचार बढ़ेगा। बाबूलाल मरांडी ने जेपीएससी और जेएसएसी को निशाने पर लेते हुए आरोप लगाया कि कदाचार ये संस्थाएं करती हैं। वेकेंसी निकलते ही उसमें 10 संशोधन हो जाते हैं। प्रश्न पत्र लीक हो जाता है। उन्होंने कहा कि यूपीएससी की परीक्षाओं में ऐसा क्यों नहीं होता। बिल का पुरजोर विरोध होगा।

सज़ा के प्रावधान है काफी कठोर ….
राज्य की हेमंत सोरेन सरकार परीक्षा में कदाचार रोकने और पारदर्शी प्रतियोगिता सुनिश्चित करने के इरादे से यह बिल लाई है। जिसके कई प्रावधान काफी कठोर हैं। बिल में उल्लेख है कि यदि कोई परीक्षार्थी पहली बार नकल करता पकड़ा गया तो उसे 3 की जेल और 5 लाख का जुर्माना लगेगा। दूसरी बार पकड़े जाने 7 वर्ष की सजा और 10 लाख का जुर्माना लगेगा। हालांकि, पोड़ैयाहाट विधायक प्रदीप यादव के संशोधन प्रस्ताव को मंजूर हुए बिल में 1 और 3 साल की सजा का प्रावधान कर दिया गया। प्रश्न पत्र या परीक्षा केंद्र में गड़बड़ी की पुष्टि पर आरोपी को 10 साल की सजा और 10 करोड़ रुपये जुर्माने का प्रावधान किया गया है। प्रश्न पत्र लूटने, चोरी करने या ओएमआर शीट नष्ट करने पर 10 साल की सजा के साथ 2 करोड़ रुपये के जुर्माने का प्रावधान किया गया है। इसमें यह भी शामिल है कि यदि प्रश्न पत्र अथवा परीक्षा के बारे में भ्रामक जानकारी फैलाई गई तो भी सजा होगी।

विधेयक से बढ़ेगा कदाचार ....
विधेयक के कुछ प्रावधानों पर सवाल उठाते हुए बीजेपी का गाड्डा विधायक अमित मंडल ने कहा कि यदि यह बिल पहले आया होता तो जेपीएससी और जेएसएससी में गड़बड़ी करने वाले अभ्यर्थियों को सलाखों के पीछे भेज दिया जाता। उन्होंने कहा कि इससे तो कदाचार बढ़ेगा क्योंकि अभ्यर्थी गलत का विरोध ही नहीं कर पाएंगे। सरकार को समीक्षा करनी चाहिए।

विधेयक है छात्रों के हित में…
मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि बीजेपी ने राज्य में 20 साल तक नौजवानों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया है। विधेयक के औचित्य पर सदन में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि यह विधेयक छात्रों के हित में है। बिल को अन्य राज्यों ने भी अपनाया है। इसे हड़बड़ी में नहीं बनाया गया है। चिंतन और मंथन कर बनाया गया है। सरकार नौजवानों के भविष्य को सुरक्षित करने का संकल्प ले रही है। हमें मजबूती के साथ आगे बढ़ना चाहिए और पारदर्शिता से हर परीक्षा आयोजित करनी चाहिए, ताकि राज्य के नौजवानों का भविष्य बेहतर हो सके।

आवश्यक तत्व….
FIR के लिए प्रारंभिक जांच की आवश्यकता नहीं।

आरोपित व्यक्ति की गिरफ्तारी से पहले अनुसंधान पदाधिकारी को किसी से अनुमति की आवश्यकता नहीं होगी।

• इस अपराध के मामले का अनुसंधान डीएसपी से नीचे स्तर का पदाधिकारी नहीं करेंगे। जहां डीएसपी तैनात नहीं होंगे, वहां एसपी स्तर के पदाधिकारी अनुसंधान करेंगे।

• इस मामले में सुनवाई के लिए राज्य सरकार झारखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के परामर्श से विशेष न्यायालय का गठन करेगी।

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