धनबाद जिला परिषद की बैठक में शनिवार को अप्रत्याशित हंगामे का माहौल पैदा हो गया, जब एक जनप्रतिनिधि ने बैठक के दौरान एक कार्यपालक अभियंता पर पानी की बोतल फेंक दी. इस घटना से अधिकारीगण बेहद नाराज हो गए और बैठक का बहिष्कार करते हुए सदन से बाहर निकल गए. इस हंगामे के बाद बैठक का माहौल तनावपूर्ण हो गया, और अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों के बीच तीखी नोकझोंक हुई.
घटना का विस्तृत विवरण
धनबाद जिला परिषद में डीआरडीए (जिला ग्रामीण विकास अभिकरण) के जिला परिषद में विलय को लेकर यह महत्वपूर्ण बैठक आयोजित की गई थी. इस बैठक में जिला परिषद के सदस्य, अधिकारीगण और अभियंता शामिल थे. बैठक की अध्यक्षता जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह कर रही थीं. बैठक के दौरान विभिन्न मुद्दों पर चर्चा हो रही थी, जब अचानक धनबाद की जिला परिषद सदस्य लक्ष्मी मुर्मू और सामने बैठे अधिकारियों के बीच किसी विषय पर बहस छिड़ गई. बहस धीरे-धीरे तीखी होती गई, और स्थिति इतनी बिगड़ गई कि दोनों पक्षों के बीच तू-तू मैं मैं शुरू हो गई. इस दौरान, आक्रोशित होकर लक्ष्मी मुर्मू ने सामने बैठे एक कार्यपालक अभियंता पर पानी की बोतल फेंक दी. यह घटना अचानक हुई और बैठक में मौजूद सभी लोग स्तब्ध रह गए. अधिकारियों ने इस कृत्य को गंभीरता से लिया और तत्काल प्रतिक्रिया देते हुए बैठक का बहिष्कार कर दिया.
अधिकारियों की प्रतिक्रिया
अभियंताओं और अधिकारियों ने लक्ष्मी मुर्मू के इस व्यवहार की कड़ी निंदा की. उनका कहना था कि एक जनप्रतिनिधि द्वारा इस तरह का आचरण अस्वीकार्य है और इससे प्रशासनिक कार्यों में बाधा उत्पन्न होती है. अभियंताओं ने एकजुट होकर बैठक से बाहर निकलने का निर्णय लिया और इस घटना के विरोध में अपना आक्रोश व्यक्त किया.
बैठक को शांत करने के प्रयास
घटना के बाद, जिला परिषद अध्यक्ष शारदा सिंह ने माहौल को शांत करने की कोशिश की। उन्होंने सभी पक्षों से अपील की कि वे शांति बनाए रखें और बैठकर समस्याओं का समाधान करें. शारदा सिंह ने अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे बैठक में वापस आएं और मुद्दों पर चर्चा जारी रखें. उन्होंने कहा कि किसी भी विवाद का समाधान संवाद के माध्यम से ही संभव है. हालांकि, उनके सभी प्रयास विफल रहे। अधिकारियों ने बैठक में वापस आने से इनकार कर दिया और जनप्रतिनिधि लक्ष्मी मुर्मू अपने स्थान पर अड़ी रहीं. बैठक का माहौल तनावपूर्ण बना रहा और बाहर भी गहमा-गहमी जारी रही. बैठक के बाद भी अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के बीच तल्खी देखने को मिली.
घटना के संभावित कारण
हालांकि, अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो पाया है कि लक्ष्मी मुर्मू ने बोतल क्यों फेंकी. सूत्रों के अनुसार, बैठक के दौरान किसी मुद्दे पर अधिकारियों और लक्ष्मी मुर्मू के बीच असहमति हो गई थी. यह भी संभव है कि उनकी कुछ मांगें या सुझावों को अधिकारियों द्वारा नजरअंदाज किया गया हो, जिससे वे नाराज हो गईं. हालांकि, इस बारे में कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, और मामले की जांच की जा रही है.
आगे की कार्यवाही
घटना के बाद, जिला प्रशासन ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं. यह जांच की जाएगी कि बैठक में ऐसी स्थिति क्यों उत्पन्न हुई और कौन-कौन इसमें शामिल थे. साथ ही, यह भी देखा जाएगा कि क्या किसी नियम या प्रोटोकॉल का उल्लंघन हुआ है. यदि जांच में किसी के खिलाफ कार्रवाई की आवश्यकता महसूस होती है, तो उचित कदम उठाए जाएंगे.
सामाजिक और राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
इस घटना के बाद सामाजिक और राजनीतिक स्तर पर भी प्रतिक्रियाएं आ रही हैं. कुछ लोग जनप्रतिनिधि के इस आचरण की निंदा कर रहे हैं, जबकि कुछ उनके पक्ष में भी बोल रहे हैं. कुछ का कहना है कि अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों के सुझावों और मांगों को गंभीरता से लेना चाहिए, जबकि अन्य का मानना है कि जनप्रतिनिधियों को भी संयम बरतना चाहिए.