झारखंड के डॉक्टर अतानु मजूमदार ने आंखों की एक खतरनाक बीमारी काला मोतिया (ग्लूकोमा) के इलाज में एक बड़ी उपलब्धि हासिल की है. उन्होंने एक ऐसी स्वचालित मशीन का आविष्कार किया है, जिससे काला मोतिया के मरीजों का इलाज आसान और प्रभावी हो जाएगा. यह आविष्कार न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक बड़ी उपलब्धि है.
डॉ अतानु मजूमदार का सफर और शिक्षा
डॉ अतानु मजूमदार पूर्वी सिंहभूम के जादूगोड़ा में परमाणु ऊर्जा केंद्रीय विद्यालय के छात्र रह चुके हैं. 1997 में इस विद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने कोलकाता के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ ऑक्युल साइंस से ऑप्टोमेट्री में डिप्लोमा किया. इसके बाद राजस्थान के चुरू में बीएससी और एमएससी इन ऑप्टोमेट्री की डिग्री प्राप्त की. जयपुर स्थित नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंस से पीएचडी की पढ़ाई पूरी करने के बाद वे एक अस्पताल में कार्यरत हो गए. वर्तमान में वे नोवामुंडी स्थित टीएमएच अस्पताल में ऑप्टोमेट्रिस्ट के रूप में अपनी सेवाएं दे रहे हैं.
काला मोतिया: एक खतरनाक लेकिन इलाज योग्य बीमारी
काला मोतिया एक गंभीर नेत्र रोग है, जिसमें आंखों की नसें सूख जाती हैं और रोशनी धीरे-धीरे कम होने लगती है. इस बीमारी का समय पर इलाज न होने पर मरीज की आंखों की रोशनी पूरी तरह चली जाती है, जिससे व्यक्ति अंधा हो सकता है. डॉ अतानु के अनुसार, अगर इसके लक्षण शुरुआती चरण में पहचान लिए जाएं और इलाज किया जाए, तो यह सामान्य इलाज से ठीक हो सकता है.
मशीन का आविष्कार और उसकी विशेषताएं
डॉ अतानु मजूमदार ने काला मोतिया के इलाज के लिए एक स्वचालित मशीन का आविष्कार किया है, जिसे 10 अक्टूबर 2024 को भारत सरकार द्वारा पंजीकृत किया गया. इस मशीन की सबसे खास बात यह है कि यह पूरी तरह ऑटोमेटिक है. मरीज का पूरा डेटा इसमें सेव हो जाता है, जिससे इलाज में पारदर्शिता और सटीकता आती है. जब कोई मरीज इस मशीन से दोबारा इलाज करवाता है, तो यह मशीन खुद ही उसकी आंखों की स्थिति और सुधार की जानकारी दे देती है.
काला मोतिया का इलाज अब होगा आसान
डॉ अतानु ने बताया कि उनकी मशीन के जरिए काला मोतिया के मरीजों को 15-20 साल तक इस बीमारी से राहत मिल सकती है. हालांकि, अभी तक इस मशीन की कीमत का निर्धारण नहीं किया गया है, लेकिन जल्द ही इसे बाजार में लाने की तैयारी की जा रही है. यह मशीन मरीजों के लिए एक वरदान साबित हो सकती है.
समाज सेवा में भी सक्रिय
डॉ अतानु अपने पेशेवर कार्यों के साथ-साथ समाज सेवा में भी जुटे हुए हैं. वे बताते हैं कि उनके विभाग में रोजाना कई मरीज आते हैं, जिनमें से कई काला मोतिया जैसी बीमारियों से जूझ रहे होते हैं. उनका उद्देश्य है कि अधिक से अधिक लोगों को इस बीमारी से निजात दिलाई जा सके.
काला मोतिया को नजरअंदाज न करें
डॉ अतानु के अनुसार, काला मोतिया को नजरअंदाज करना खतरनाक हो सकता है. इस बीमारी के गंभीर रूप लेने पर आंखों की रोशनी हमेशा के लिए चली जाती है. उन्होंने लोगों को सलाह दी है कि जैसे ही इस बीमारी के लक्षण दिखाई दें, तुरंत इलाज करवाएं.
मशीन की उपलब्धता और भविष्य की योजनाएं
डॉ अतानु की मशीन जल्द ही बाजार में उपलब्ध होगी, जिससे देशभर में काला मोतिया के मरीजों को राहत मिलेगी. यह मशीन न केवल इलाज को सटीक बनाएगी, बल्कि समय और संसाधनों की भी बचत करेगी.
डॉ अतानु का योगदान और झारखंड की उपलब्धि
डॉ अतानु मजूमदार का यह आविष्कार झारखंड के लिए गर्व की बात है. उनकी मेहनत और समर्पण ने यह साबित कर दिया है कि लगन और मेहनत से बड़ी से बड़ी समस्याओं का समाधान निकाला जा सकता है. यह आविष्कार न केवल झारखंड बल्कि पूरे देश के लिए एक नई उम्मीद है.