रांची के डोरंडा स्थित जोनल आइजी पंकज कंबोज के कार्यालय में मंगलवार को झारखंड पुलिस व सीआरपीएफ के अधिकारियों के सामने दो कुख्यात माओवादियों ने आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में दस लाख रुपये का इनामी जोनल कमांडर सुरेश सिंह मुंडा व दो लाख रुपये का इनामी एरिया कमांडर लोदरो लोहरा उर्फ सुभाष शामिल हैं। दोनों ही नक्सली एक करोड़ रुपये के इनामी केंद्रीय कमेटी सदस्य मिसिर बेसरा उर्फ सागर के मारक दस्ते के सक्रिय सदस्य हैं। इन्हें कोल्हान, पोड़ाहाट के दुरूह-सुदूर जंगली पहाड़ी क्षेत्रों के चप्पे-चप्पे की जानकारी है।
संगठन में नहीं मिलता था उचित मान सम्मान..
आत्मसमर्पण के मौके पर दोनों ही नक्सलियों ने स्वीकारा है कि दोनों ने एक साथ 21 दिसंबर 2021 को माओवादी संगठन को छोड़ दिया था। संगठन छोड़ने के पीछे की वजह दोनों ने बताया है कि पार्टी में उचित मान-सम्मान का नहीं मिलना और हर वक्त पुलिस का भय है। उसके सक्रिय साथी जीवन कंडुलना ने फरवरी-2021 में आत्मसमर्पण किया था।
सरकार की पुनर्वास नीति का दोनों को मिलेगा लाभ..
आईजी अभियान अमोल वी. होमकर ने दोनों ही नक्सलियों के आत्मसमर्पण के मौके पर कहा कि डीजीपी के निर्देशन में झारखंड पुलिस, सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर व अन्य केंद्रीय अर्द्धसैनिक बलों के साथ मिलकर नक्सली संगठनों के खिलाफ चौतरफा अभियान चला रही है। इसमें पुलिस को लगातार सफलताएं हाथ लग रही हैं। इसका नतीजा यह है कि हाल के महीनों में न सिर्फ भारी संख्या में बड़े व इनामी नक्सलियों की गिरफ्तारी हुई, बल्कि कई बड़े नक्सलियों ने पुलिस के सामने हथियार भी डाला और आत्मसमर्पण किया। सीआरपीएफ के आइजी झारखंड राजीव सिंह ने भी भटके हुए नक्सलियों से अपील की है कि वे भी हिंसा का रास्ता छोड़कर सरकार की मुख्य धारा से जुड़ें। जो नक्सली लड़ाई के उद्देश्य से पुलिस के सामने आएंगे, उन्हें उसी भाषा में जवाब भी मिलेगा। इसलिए बेहतर यही होगा कि वे सरकार के इस आत्मसमर्पण व पुनर्वास नीति का लाभ उठाएं।