Jharkhand: आदिवासी संगठनों ने प्रस्तावित समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के विरोध में शनिवार को झारखंड भाजपा मुख्यालय के पास विरोध प्रदर्शन किया। आदिवासी संगठनों के सदस्य रांची के हरमू मैदान में एकत्र हुए और राज्य के भाजपा मुख्यालय की ओर मार्च करना शुरू कर दिया। जुलूस के दौरान उन्होंने ‘आदिवासियों का शोषण बंद करो’ जैसे नारे भी लगाये। मौके पर मौजूद पुलिस ने प्रदर्शनकारियों को भाजपा मुख्यालय से पहले ही रोक दिया। जहां उन्होंने लगभग एक घंटे तक विरोध प्रदर्शन किया। अगर केंद्र सरकार यूसीसी लागू करती है। तो यह आदिवासियों के विशेष अधिकारों का हनन होगा। आदिवासियों को संविधान में विशेष अधिकार मिला है। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत आदिवासियों की शादी नहीं होती है।
क्या है यूनीफॉर्म सिविल कोड..
एक सामाजिक मामलों से संबंधित कानून होता है जो सभी पंथ के लोगों के लिये विवाह, तलाक, भरण-पोषण, विरासत व बच्चा गोद लेने आदि में समान रूप से लागू होता है। दूसरे शब्दों में, अलग-अलग पंथों के लिये अलग-अलग सिविल कानून न होना ही ‘समान नागरिक संहिता’ की मूल भावना है। यह किसी भी पंथ जाति के सभी निजी कानूनों से ऊपर होता है। फिलहाल समान नागरिक संहिता भारत में नागरिकों के लिए एक समान कानून को बनाने और लागू करने का एक प्रस्ताव है जो सभी नागरिकों पर उनके धर्म, लिंग और यौन अभिरुचि की परवाह किए बिना समान रूप से लागू होगा।
आदिवासियों के अस्तित्व को है खतरा..
वहां मौजूद आदिवासी जन परिषद के अध्यक्ष प्रेम साही मुंडा ने कहा, “भाजपा सरकार यूसीसी का प्रस्ताव कर रही है, जो आदिवासी अस्तित्व के लिए खतरा है। भारतीय संविधान द्वारा हमें दिए गए आदिवासी प्रथागत कानूनों और अधिकारों को यूसीसी कानून कमजोर कर देगा।” यूसीसी विवाह, तलाक और विरासत पर कानूनों के एक सामान्य रूप को संदर्भित करता है। जो धर्म, जनजाति या अन्य स्थानीय रीति-रिवाजों के बावजूद सभी भारतीय नागरिकों पर लागू होगा।
वर्तमान सरकार ने आदिवासियों पर किया है अत्याचार..
पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने तथाकथित आदिवासी संगठनों के विरोध को हेमंत सोरेन सरकार द्वारा प्रायोजित राजनीतिक नौटंकी और ढोंग कहा। साथ ही उनका कहना है, की आंदोलनकारियों को सबसे पहले सीएम आवास के सामने विरोध प्रदर्शन करना चाहिए। क्योंकि वर्तमान सरकार के तहत आदिवासियों पर सबसे अधिक अत्याचार किया गया है।