झारखंड में कृषि उपज पर 2% बाजार शुल्क लागू करने के विरोध में झारखंड चैंबर के नेतृत्व में आज से राज्य में खाद्यान्न व्यापारियों द्वारा खाद्यान्न की आवक पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। इसके लिए राज्य भर के व्यापारियों ने चैंबर के साथ सहमति बनाई है। अब राज्य में गेहूं, चावल, चीनी, दाल, खाद्य तेल, आलू-प्याज, सभी प्रकार मसाले आदि खाद्यान्नों की आवक पूरी तरह से बंद है। सिर्फ स्टॉक में जो बचे हैं, उन्हें ही व्यापारी बिक्री कर रहे हैं। हालांकि, बाहर के राज्यों से आने वाले जो खाद्यान्न लोड होकर निकल चुके हैं और रास्ते में हैं, उन्हें व्यापारी यहां अनलोड करेंगे।
मसलन कुछ भी नया आवक का सौदा नहीं होगा। चैंबर के सदस्यों ने बताया कि नया आवक नहीं होने से 4 दिन बाद राज्य में असर दिखेगा। स्टॉक की भारी कमी होगी। इससे पहले चैंबर ने सभी डीसी और खाद्य सचिव को पत्र लिखकर इसकी जानकारी दे दी है। उन्होंने कहा कि खाद्यान्न की किल्लत होने पर राज्य सरकार जिम्मेवार होगी। उन्होंने कहा कि वर्तमान में सरकार और ब्यूरोक्रेट्स की हठधर्मिता के कारण हमें खाद्य वस्तुओं की आवक बंद करने का निर्णय लेना पड़ रहा है, जिससे जनता को भी परेशानी होगी।
व्यापारियों ने कहा- कृषि शुल्क से महंगाई बढ़ेगी..
चैंबर के सदस्यों का कहना है की झारखंड में ज्यादातर खाद्यान्न दूसरे राज्यों आते हैं और बिकते हैं। इससे सरकार को जीएसटी के रूप में भारी-भरकम राशि मिलती है। ऐसे में कृषि शुल्क 2 प्रतिशत लगाकर आम उपभोक्ता के लिए महंगाई और बढ़ाने का काम कर रही है। कृषि शुल्क बढ़ाने से सरकार राजस्व नहीं बढ़ेगा। सिर्फ कृषि बोर्ड को फायदा होगा। चावल, दाल व चीनी के प्रमुख व्यापारी संजय माहुरी ने बताया कि राज्य में 95 प्रतिशत से ज्यादा खाद्यान्नों की आवक अन्य प्रदेशों से है। चावल व हरी सब्जियों को छोड़कर लगभग सभी खाद्य सामान दूसरे राज्यों से आता है। ऐसे में माल नहीं मंगाए जाने पर बाजार में इसकी कमी दिखेगी। खाद्यान्नों की आवक बंद हो जाएगी तो कुछ दिनों बाद आम लोगों को अनाज नहीं मिल पाएगा। इसका सामान के दाम पर भी असर पड़ेगा।
आवक बंद करने का क्या होगा असर?
- खाद्यान्नों की आवक बंद होने से 4 से 5 दिनों बाद ही राज्य में स्टॉक की भारी कमी हो जाएगी, जिससे आम लोगों को अनाज मिलने में परेशानी होगी।
- सरकारी और गैर सरकारी कई संस्थाओं में खाद्यान्न नहीं उपलब्ध हो सकेगा।
- खाद्यान्न की सप्लाई नहीं होगी व मांग यथस्थिति रहेगी। इससे खाद्यान्न के दाम बढ़ेंगे।
- काफी हद तक ट्रांसपोर्ट का काम बंद हो जाएगा।
- दुकानदारों को बिक्री नहीं होने से घाटा उठाना पड़ेगा।
बता दें राज्य में छह मंडियां हैं। इसके तहत रांची में दो तथा धनबाद, बोकारो, रामगढ़ एवं देवघर में एक-एक मंडी है। फेडरेशन ऑफ झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज की ओर से व्यापारिक संगठन अप्रैल माह से ही इस प्रस्तावित बाजार शुल्क का विरोध कर रहे हैं। व्यापारियों ने दावा किया कि प्रस्तावित शुल्क से उपभोक्ता उत्पादों के दाम बढ़ेंगे और लोगों पर बोझ बढ़ेगा।
इस शुल्क से राज्य के मंडियों में आएगा सुधार..
इस संबंध में झारखंड राज्य कृषि विपणन बोर्ड (Jharkhand State Agricultural Marketing Board- JSAMB) के प्रबंध निदेशक मनोज कुमार के मुताबिक, नये नियम के प्रभाव में आ जाने पर जल्द नष्ट नहीं होने वाले जिंसों पर दो फीसदी और जल्द नष्ट हो जाने वाले जिंसों पर एक प्रतिशत बाजार शुल्क लगाने का प्रावधान है। साथ ही कहा कि कृषि बाजार शुल्क लगाने का नियम केंद्र ने लागू किया है और झारखंड सरकार ने महज उसे अपनाया है। उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों का अलग-अलग बाजार शुल्क ढांचा है। इस शुल्क का लक्ष्य राज्य में मंडियों के बुनियादी ढांचे को आधुनिक बनाना एवं उसमें सुधार करना है।