रांची: सिरमटोली सरना स्थल की रक्षा और आदिवासी समुदाय के अधिकारों की मांग को लेकर मंगलवार को राजधानी रांची में एक विशाल मशाल यात्रा निकाली गई। यह यात्रा अल्बर्ट एक्का चौक पहुंची, जहां प्रदर्शनकारियों ने पैदल मार्च कर सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाज़ी की। हाथों में जलती हुई मशालें लिए आदिवासी संगठनों के प्रतिनिधियों और आम नागरिकों ने ऐलान किया कि वे अब अन्याय के खिलाफ चुप नहीं बैठेंगे।
प्रदर्शनकारियों ने 4 जून को झारखंड बंद का एलान किया है। आदिवासी संगठनों का कहना है कि यह बंद पूरे राज्य में प्रभावी रहेगा और इसमें आदिवासी समुदाय की व्यापक भागीदारी होगी। उनका आरोप है कि हेमंत सोरेन की सरकार न केवल सिरमटोली स्थित केंद्रीय सरना स्थल को नुकसान पहुँचा रही है, बल्कि आदिवासी समुदाय की ज़मीनों पर भी अतिक्रमण कर रही है।
मशाल यात्रा में शामिल संगठनों ने राज्य के सरकारी स्कूलों की बदहाली पर भी गहरी चिंता जताई। उन्होंने कहा कि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों के कई स्कूलों में शिक्षकों की भारी कमी है, जबकि बुनियादी सुविधाओं का घोर अभाव है। इससे आदिवासी बच्चों का भविष्य संकट में है। संगठनों का कहना है कि वे बीते पांच महीनों से लगातार अपनी मांगों को लेकर आवाज़ उठा रहे हैं, लेकिन सरकार अब तक मौन है।
इसी मुद्दे को लेकर झारखंड लोकतांत्रिक क्रांतिकारी मोर्चा (जेएलकेएम) के केंद्रीय वरीय उपाध्यक्ष और आंदोलनकारी नेता देवेंद्र नाथ महतो ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस कर आदिवासी बचाओ मोर्चा द्वारा आहूत झारखंड बंद को नैतिक समर्थन देने की घोषणा की। उन्होंने कहा कि झारखंड अलग राज्य आंदोलन में आदिवासियों ने बड़ी संख्या में बलिदान दिया है और वर्तमान में राज्य का नेतृत्व एक आदिवासी मुख्यमंत्री के हाथ में है, ऐसे में सरकार को आंदोलनकारी संगठनों की मांगों पर गंभीरता से विचार करना चाहिए।
आदिवासी संगठनों ने चेतावनी दी है कि यदि सरकार उनकी मांगों की अनदेखी करती रही, तो यह आंदोलन और तेज़ होगा और व्यापक जनआंदोलन में तब्दील हो सकता है।