विश्वविद्यालयों में पीएचडी कर रहे स्कॉलरों के लिए अच्छी खबर है. अब क्वालिटी रिसर्च करने वाले अभ्यर्थियों को एक्सीलेंस अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा. यह कदम यूनिवर्सिटी ग्रांट्स कमीशन (यूजीसी) द्वारा रिसर्च को बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया है. इसके तहत हर साल टॉप 10 स्कॉलरों को असाधारण रिसर्च के लिए पीएचडी एक्सीलेंस प्रशस्ति पत्र प्रदान किया जाएगा. यह निर्णय साइंस, सोशल साइंस, इंजीनियरिंग, और भारतीय भाषाओं में बेहतर रिसर्च को सम्मानित करने के लिए लिया गया है. इस योजना के तहत रिसर्च के चयन के लिए दो स्तरों पर चयन समितियों का गठन किया जाएगा. पहली समिति विश्वविद्यालय स्तर पर होगी, जिसे “स्क्रीनिंग कमेटी” कहा जाएगा, और यह रिसर्च का प्रारंभिक चयन कर यूजीसी को भेजेगी. दूसरी “फाइनल सेलेक्शन कमेटी” यूजीसी स्तर पर होगी, जो फाइनल रिसर्च का चयन करेगी. चयन प्रक्रिया में रिसर्च की ओरिजिनैलिटी, ज्ञान में योगदान, और रिसर्च मेथोडोलॉजी जैसे मानदंडों पर विचार किया जाएगा. इसके साथ ही, थीसिस की प्रजेंटेशन भी चयन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होगी. इस पहल का उद्देश्य स्कॉलरों को बेहतर रिसर्च करने के लिए प्रोत्साहित करना है, ताकि देश में शोध कार्यों की गुणवत्ता में वृद्धि हो सके. नेशनल एजुकेशन पॉलिसी (एनईपी)-2020 में रिसर्च और इनोवेशन पर अधिक जोर दिया गया है, और इसे ध्यान में रखते हुए यूजीसी ने यह कदम उठाया है. यूजीसी के एक अध्ययन से यह पता चलता है कि देश में पीएचडी रिसर्च में वार्षिक वृद्धि हो रही है. उदाहरण के तौर पर, 2010-11 में पीएचडी में एडमिशन लेने वाले छात्रों की संख्या 77,798 थी, जो 2017-18 में बढ़कर 1,61,412 हो गई. इस बढ़ती संख्या को ध्यान में रखते हुए रिसर्च की गुणवत्ता पर भी फोकस किया जा रहा है.
साइंस में सबसे अधिक रिसर्च
यूजीसी को मिले अध्ययन के अनुसार, सबसे अधिक रिसर्च साइंस के क्षेत्र में हो रही है. कुल रिसर्च में से 30 प्रतिशत साइंस में है. इसके बाद इंजीनियरिंग और टेक्नोलॉजी में 26 प्रतिशत, सोशल साइंस में 12 प्रतिशत, भारतीय भाषाओं में 6 प्रतिशत, मैनेजमेंट में 6 प्रतिशत, एग्रीकल्चर साइंस में 4 प्रतिशत, मेडिकल साइंस में 5 प्रतिशत, एजुकेशन में 5 प्रतिशत, कॉमर्स में 3 प्रतिशत, और फॉरेन लैंग्वेज में 3 प्रतिशत रिसर्च हो रहा है.