आज राष्ट्रपति मुर्मू करेंगी शताब्दी समारोह का उद्घाटन….

नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर, जिसे पहले इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल रेजींस एंड गम्स (IINRG) के नाम से जाना जाता था, झारखंड के राजधानी शहर रांची से करीब नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित है. इसकी स्थापना का मुख्य उद्देश्य लाह उत्पादन का अनुसंधान और विकास करना था. 1923 में प्रोवेंशियल सरकार ने इस संस्थान के लिए 110 एकड़ जमीन आवंटित की थी, और 1924 में बिहार और ओडिशा के गर्वनर हेनरी विह्नर ने इसका शिलान्यास किया. आज यह संस्थान शहरी विस्तार के बावजूद अपनी हरियाली और लाह उत्पादन के लिए प्रसिद्ध है.

लाह उत्पादन की अनूठी परंपरा

यह संस्थान झारखंड की लाह उत्पादन की परंपरा को जीवित रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है. लाह एक प्राकृतिक राल है, जो कीड़ों द्वारा उत्पन्न होती है और इसका उपयोग कई उद्योगों में किया जाता है. भारत में सबसे अधिक लाह का उत्पादन झारखंड में होता है, और इस उद्योग से करीब 10 लाख परिवार जुड़े हुए हैं. कुसुम, पलाश, और बेर जैसे होस्ट पौधों पर लाह की खेती होती है. आज झारखंड के साथ-साथ कर्नाटक, तमिलनाडु, तेलंगाना, और महाराष्ट्र जैसे राज्य भी लाह उत्पादन में शामिल हो गए हैं, जिससे देश को विश्व में सबसे अधिक लाह उत्पादन करने वाले देशों की सूची में शीर्ष स्थान प्राप्त हुआ है.

ऐतिहासिक प्रगति

संस्थान ने 1925 में बायोकेमिकल और इनटॉमोलॉजिकल लैबोरेट्री की स्थापना के साथ अपना काम शुरू किया. 1930 में एक्सपेरिमेंटल लैक फैक्टरी स्थापित की गई, जिससे लाह की गुणवत्ता और उत्पादन में सुधार हुआ. 1938 में हाई टेंशन लैबोरेट्री की स्थापना की गई, जिसका उद्देश्य बिजली उत्पादन में लाह के उपयोग पर अनुसंधान करना था. इस लैब से तैयार उत्पादों की मांग देशभर में होने लगी. शेषाद्री कमेटी की अनुशंसा पर, 1971 में संस्थान का कार्यक्षेत्र बढ़ाया गया और इसे केमिस्ट्री, इनटॉमोलॉजी, एग्रोनॉमी, प्लांट जेनेटिक्स, और टेक्नोलॉजी एंड एक्सटेंशन में अनुसंधान के लिए विस्तारित किया गया. 2007 में संस्थान का नाम बदलकर इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ नेचुरल रेजींस एंड गम्स कर दिया गया, और 2022 में इसका नाम बदलकर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ सेकेंडरी एग्रीकल्चर (NISA) कर दिया गया.

झारखंड सरकार की भूमिका

2022 में झारखंड सरकार ने लाह को कृषि का दर्जा दिया, जिससे लाह से जुड़े व्यापार को टैक्स में छूट मिली. इससे राज्य में लाह उद्योग को और अधिक प्रोत्साहन मिला और उद्यमियों ने लाखों रुपये की कमाई की. इसके अतिरिक्त, भारत सरकार ने संस्थान को लाह उत्पादन के साथ-साथ अन्य एग्री-बायोरिसोर्स, डाउनस्ट्रीम एग्रो प्रोसेसिंग, और ऑटोमेशन एंड प्लांट इंजीनियरिंग के क्षेत्रों में भी काम करने की जिम्मेदारी दी.

100 वर्षों की ऐतिहासिक यात्रा

यह संस्थान 20 सितंबर 2024 को अपने शताब्दी समारोह का जश्न मना रहा है. इस ऐतिहासिक अवसर पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू और केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान मुख्य अतिथि होंगे. इस संस्थान की 100 साल की यात्रा ने कई उतार-चढ़ाव देखे हैं, लेकिन आज यह देश-विदेश में अपनी पहचान बना चुका है. 10 लाख से अधिक परिवार इस संस्थान से जुड़े हुए हैं और देश-विदेश में इसके उत्पादों की मांग है.

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