हाल ही में मुंबई में आयोजित इंडिया स्टील की द्विवार्षिक अंतर्राष्ट्रीय प्रदर्शनी-सह-सम्मेलन में देश-विदेश से कई विशेषज्ञों ने शिरकत की. इस सम्मेलन में कोल सेक्टर की भी सक्रिय भागीदारी रही. शनिवार को सम्मेलन को संबोधित करते हुए भारत सरकार के कोयला एवं खान मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस क्षेत्र के भविष्य को लेकर कई अहम बातें साझा कीं. सम्मेलन में मौजूद कोल सेक्टर के एक वरिष्ठ अधिकारी ने जानकारी दी कि आने वाले वर्षों में धनबाद और बोकारो क्षेत्र में बड़े पैमाने पर निवेश की तैयारी चल रही है. खास तौर पर बोकारो में स्थित बीएसएल (बोकारो स्टील लिमिटेड) प्रोजेक्ट के विस्तार की बड़ी योजना बनाई गई है. इस विस्तार के तहत बोकारो स्टील प्लांट की उत्पादन क्षमता बढ़ाई जाएगी. वहीं, स्टील सेक्टर को और गति देने के लिए बीसीसीएल (भारत कोकिंग कोल लिमिटेड) के तहत कोकिंग कोल परियोजनाओं में भी नई संभावनाओं को तलाशा जा रहा है. वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि मंत्री जी किशन रेड्डी ने अपने संबोधन में कहा कि इस्पात क्षेत्र भारत की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है, जबकि कोयला और खनन क्षेत्र इसकी मजबूत नींव हैं. उन्होंने यह भी जोर देकर कहा कि लौह अयस्क, कोकिंग कोल, चूना पत्थर, मैंगनीज, निकल और क्रोमियम जैसे आवश्यक मिश्र धातु तत्वों की उपलब्धता सुनिश्चित करना आज की आर्थिक जरूरत ही नहीं, बल्कि रणनीतिक दृष्टि से भी बेहद जरूरी है.
बीएसएल प्रोजेक्ट का विस्तार
बोकारो स्थित बीएसएल के विस्तार के लिए एक बड़ी योजना पर काम हो रहा है. इसके तहत बीएसएल की मौजूदा क्षमता 4.66 मिलियन टन प्रति वर्ष से बढ़ाकर 2030 तक 7.61 मिलियन टन प्रतिवर्ष करने का लक्ष्य रखा गया है. इस विस्तार परियोजना पर अनुमानित 20,000 करोड़ रुपये का भारी-भरकम निवेश किया जाएगा. इससे न केवल उत्पादन क्षमता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय स्तर पर रोजगार के भी नए अवसर खुलेंगे.
कोकिंग कोल उत्पादन पर विशेष जोर
स्टील उत्पादन में कोकिंग कोल की भूमिका काफी महत्वपूर्ण है. आंकड़ों के अनुसार, स्टील निर्माण में कोकिंग कोल की हिस्सेदारी लगभग 42 प्रतिशत है. वर्तमान में भारत अपनी कोकिंग कोल की जरूरतों का 85 प्रतिशत हिस्सा आयात करता है, जो देश के विदेशी मुद्रा भंडार पर भारी दबाव डालता है. सरकार ने अब घरेलू स्तर पर कोकिंग कोल उत्पादन बढ़ाने के लिए रोडमैप तैयार किया है. लक्ष्य रखा गया है कि वर्ष 2030 तक 140 मिलियन टन घरेलू कोकिंग कोल का उत्पादन सुनिश्चित किया जाए. बीते वित्तीय वर्ष में देश में कुल 66.49 मिलियन टन कोकिंग कोल का उत्पादन हुआ था, जिसमें अकेले बीसीसीएल का योगदान 38.89 मिलियन टन रहा. यानी आने वाले वर्षों में इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए उत्पादन क्षमता को दोगुना करने की आवश्यकता है.
स्टील सेक्टर की महत्वाकांक्षी योजनाएं
राष्ट्रीय इस्पात नीति के तहत केंद्र सरकार ने वर्ष 2030-31 तक देश में 300 मिलियन टन और वर्ष 2047 तक 500 मिलियन टन स्टील उत्पादन क्षमता हासिल करने का लक्ष्य तय किया है. इस महत्वाकांक्षी लक्ष्य को प्राप्त करने में बोकारो स्थित बीएसएल की भूमिका बेहद अहम मानी जा रही है. बीएसएल के विस्तार से न केवल स्टील उत्पादन में बढ़ोतरी होगी, बल्कि देश की औद्योगिक क्षमता को भी नया बल मिलेगा.
स्थानीय अर्थव्यवस्था को मिलेगा लाभ
बोकारो और धनबाद क्षेत्र में प्रस्तावित निवेश और परियोजनाओं के विस्तार से स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी काफी फायदा होगा. रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, सहायक उद्योगों का विकास होगा और संपूर्ण क्षेत्र में आर्थिक गतिविधियों में तेजी आएगी. कोल सेक्टर और स्टील सेक्टर दोनों की मजबूत भागीदारी से झारखंड के इस क्षेत्र का औद्योगिक परिदृश्य पूरी तरह से बदलने की उम्मीद है.