साहिबगंज की पहाड़िया जनजाति के बर्जोम बामडा पहाड़िया कुछ माह पूर्व नौकरी की तलाश में दिल्ली गए थे। वहां बिचौलिए ने नौकरी का झांसा देकर बर्जोम की मेहनत की कमाई छीन ली और उसे सड़क पर छोड़ दिया। बुज़ुर्ग बर्जोम जिसके बाद रेलवे ट्रैक पर पैदल 1182 किलोमीटर का सफर तय कर दिल्ली से धनबाद पहुँचे।
धनबाद के महुदा शहर में रोटी बैंक के सदस्यों ने जब उनकी कहानी सुनी तो उन्हें बस में बैठा कर उनके गाँव साहिबगंज भेजा। बर्जोम बामडा साहिबगंज के पतना में तालझारी, आमड़भीठा के निवासी हैं जहां वे अपनी पत्नी के साथ रहते हैं।
कुछ माह पूर्व बर्जोम ने दिल्ली जाने से पहले अपनी सारी जमा पूँजी साथ रख ली थी। लेकिन दिल्ली में जिस बिचौलिए ने उन्हें नौकरी का झांसा दिया था, उसने बर्जोम को सब्जबाग दिखा कर उनके सारे पैसे हड़प लिए और खुद रफ्फूचक्कर हो गया। दिल्ली की सड़कों पर बर्जोम कई दिनों तक भूखे बिलखते रहे। इधर उधर से मांग कर कभी पेट भरा तो कभी भूखे ही सो गए। जब उनका विशवास टूटा तो उन्होंने अपने घर पतना जाने की ठानी। जेब में पैसे न होने के कारण उन्होंने रेल पटरी के सहारे घर जाने का फैसला किया। बर्जोम ने बताया की वे एक महीने से अधिक समय से पटरी पर पैदल चल रहे हैं। रास्ते में लोगों से मांग कर वे अपना पेट भरते थे। जब महुदा में रोटी बैंक के सदस्यों को इस बात की जानकारी मिली तो उन्होंने सबसे पहले उन्हें पेट भर भोजन कराया और बस में बैठा कर उन्हें साहिबगंज के लिए रवाना कर दिया।